रायपुर। रायपुर के साइंस काॅलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन गुजरात के जनजातीय कलाकारों ने मनोहारी डांग नृत्य प्रस्तुत किया। डांग नृत्य में बस्तर के जनजातीय समुदाय द्वारा किए जाने वाले नृत्य की झलक दिखाई दी। डांग नृत्य गुजरात में होली एवं अन्य त्यौहार के अवसर पर किया जाता है। डांग नृत्य तेज गति से किए जाने वाला नृत्य है। गुजरात के आदिवासी लोक नृत्य डांग उनके पारंपरिक विधा पर आधारित है।
महोत्सव में जम्मू-कश्मीर के कलाकारों द्वारा गोजरी बैट नृत्य प्रस्तुत किया गया। गोजरी बैट नृत्य श्री राम जय राम जय जय राम, अल्लाह हो अकबर और सत्यनाम वाहेगुरू के बोल पर भांगडा नृत्य के तर्ज में जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने किया। गोजरी बैट नृत्य में सर्व धर्म सद्भाव की झलक दिखाई दी। गोजरी बैट नृत्य को दर्शकों ने खूब पंसद किया। जम्मू-कश्मीर के बकरवाल समुदाय के कलाकारों ने बकरवाली नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य विवाह संस्कार पर आधारित था। नृत्य में कलाकारों ने विवाह होने और बिदाई के क्षण का जीवंत अभिनय कर प्रस्तुत किया।
त्रिपुरा के कलाकारों ने संगाई नृत्य प्रस्तुत किया। त्रिपुरा में उत्सव के समय यह नृत्य किया जाता है। कलाकारों ने रंग बिरंगी छतरी के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। नृत्य में जन्म से लेकर पूरे जीवन को एक उत्सव के रूप में बताया गया। नृत्य में सोला श्रृंगार की भी झलक दिखी। संगाई नृत्य में गायक कलाकारों ने बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्म शरणम गच्छामि और संगेरे चलव रे के मुधूर गीत के साथ नृत्य का आनंद और बढ़ गया।
महोत्सव में हिमांचल प्रदेश के कलाकारों ने हरनातर नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में राक्षसों को भगाने का अभिनय किया गया। असम के कलाकारों ने बारदो शुक्ला नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में धरती माता की वंदना की गई। इस नृत्य में स्त्रियों के सम्मान की सीख दी गई। बारदो शुक्ला असम के बोड़ो जनजातियों का पारंपरिक नृत्य है। सिक्किम के कलाकारों ने फसल कटाई के समय किए जाने वाला नृत्य लेचा प्रस्तुत किया। लद्दाख के कलाकारों ने लद्दाखी गजल नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य लद्दाख में होने वाले मेला मड़ाई के समय किया जाता है। अरूणांचल के कलाकारों ने इडू नृत्य प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश छिंदवाड़ा के जनजातीय कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य शैला गेंडी प्रस्तुत किया। शैला गेंडी नृत्य में पुरूष कलाकारों ने गेंडी पर चढ़कर नृत्य किया। महिला कलाकारों ने सिर पर दोहरी तीहरी गगरी रखकर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। कर्नाटक के कलाकारों ने बंजारा सुगाली नृत्य प्रस्तुत किया।