सुशील सलाम, कांकेर. कलेक्टर रानू साहू ने बुधवार को कन्या स्कूल जनकपुर वार्ड कांकेर के बालिकाओं को कृमि की गोली खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का औपचारिक शुभारंभ किया.

जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ्य अधिकारी डॉ जेएल उईके, जिला नोडल अधिकारी (राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस) डॉ डीके रामटेके, जिला कार्यक्रम प्रबंधक अखिलेश शर्मा और सभी खंडचिकत्सा अधिकार, विकासखंड प्रबंधक एवं स्वस्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे. सीएमएचओ डॉ. उइके ने कहा कि आमतौर पर 01 वर्ष से 19 वर्ष तक के स्कूल जाने वाले बच्चे तथा स्कूल न जाने वाले बच्चे में कृमि संक्रमण का खतरा रहता है, जो अस्वच्छता के कारण फैलता है. कृमि संक्रमण से बच्चों की मानसिक तथा शारीरिक विकास में बाधा हो सकती है. कृमि संक्रमण के कारण बच्चे अक्सर बीमार होते हैं, जिससे पढ़ाई मे ध्यान कम लगा पाते हैं, और भविष्य में उनके कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है.

जिले में 8 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस और 14 फरवरी को मॉपअप दिवस मनाया जाएगा. राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत 01 से 19 वर्ष तक के समस्त बच्चों को 08 फरवरी को कृमि नाशक गोली खिलाई जाएगी और जो बच्चे इस दिन गोली खाने से वंचित रह जायेंगे, उन्हें 14 फरवरी को मॉप अप दिवस के दिन गोली खिलाई जायेगी.

साढ़े तीन लाख बच्चों को खिलाई जानी है गोली

कांकेर जिले में 2491 शासकीय विद्यालय, 212 निजी विद्यालय, 05 शासकीय महाविद्यालय, 03 आई.टी.आई, 01 पॉलिटेक्निक कॉलेज एवं 2041 आंगनबाड़ी केन्द्र है, जिनमें लक्षित बच्चों की संख्या  3 लाख 47 हजार 177 है, जिसमें 01 वर्ष से 05 वर्ष तक 65 हजार 858 पंजीकृत एवं शाला त्यागी लक्षित बच्चे हैं. आंगनबाड़ी केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कृमि नाशक दवा खिलाई जायेगी और शाला त्यागी बच्चों को मितानीन द्वारा चिन्हांकित कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से कृमि नाशक की गोली खिलाई जायेगी. 06 वर्ष से 19 वर्ष तक के लक्षित बच्चों की संख्या 2 लाख 81 हजार 319 है, जिन्हें समस्त शासकीय/अर्द्वशासकीय, अनुदान प्राप्त शालाओं, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, मदरसा, निजी स्कूलों एवं आईटीआई तथा कॉलेज के प्रथम वर्ष के बच्चों को नोडल शिक्षकों के माध्यम से कृमिनाशक दवा खिलाई जायेगी.

कृमि नियंत्रण का सबसे आसान उपाय एल्बेंडाजोल

एल्बेंडाजोल गोली 400 एमजी कृमि नियंत्रण का सबसे आसान उपाय है, जिसे 01 से 02 वर्ष तक बच्चों को आधी गोली चूरा करके एवं 02 वर्ष से 03 वर्ष के बच्चों को 01 पूरी गोली चूरा करके तथा 03 से 19 वर्ष के बच्चों की पूरी गोली चबाकर खिलानी है.