लखनऊ. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा किनारे के 27 और बुन्देलखंड के सात कुल मिलाकर 34 जिलों में एक अभियान शुरू किया गया है. कहा कि आवश्यकता पड़ेगी तो हम इसके लिए बोर्ड आदि के गठन का कार्य भी करेंगे. मुख्यमंत्री ने सोमवार को यहां प्राकृतिक खेती पर विश्व बैंक के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना की तर्ज पर अब कृषि क्षेत्र में हर जिले की एक विशेष उपज-एक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा. जैसे सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल और मुजफ्फरनगर में गुड़. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 2020 में गंगा के दोनों तटों पर 05-05 किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम शुरू किया है. गंगा यात्रा के दौरान इस विषय मे काफी जागरूकता का प्रसार हुआ. उत्तर प्रदेश में 27 जनपद गंगा से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा इस बजट में हमने बुंदेलखंड के 7 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष अभियान शुरू किया है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि, रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम है. सर्वाधिक किसान हमारे यहां हैं. प्रदेश में 02 करोड 55 लाख किसान पीएम किसान का लाभ उठा रहे हैं. यानी 02 करोड़ 55 लाख लोग खेती से जुड़कर रोजी-रोजगार कर रहे हैं. खाद्यान्न उत्पादन में भी हम श्रेष्ठ हैं. गेहूं, फल, सब्जी, दुग्ध, गन्ना, चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है. योगी ने कहा कि कृषि के बाद एमएसएमई क्षेत्र रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है. इस सेक्टर में 2017 से पहले स्थिति निराशाजनक थी. लेकिन 2017 के बाद जब प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हमने प्रदेश के परंपरागत उद्यम की मैपिंग की और उस अनुसार कार्यक्रम बनाए तो आज 90 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं जो करोड़ों युवाओं के सेवायोजन का माध्यम बनी हैं.

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उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद की जो हमारी अभिनव योजना है, इसके बारे में प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल कहा. हर जिले का अपना यूनिक उत्पाद है. यह आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश का आधार बनेगी. अब हम कृषि क्षेत्र में भी ऐसे प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में जहां ऋषि और कृषि एक दूसरे से जुड़े हुए थे. जहां गो और गोवंश न केवल आस्था बल्कि अर्थव्यवस्था का भी आधार था. वहां पर प्राकृतिक खेती उस आस्था के साथ अर्थव्यवस्था को सम्बल प्रदान कर सकता है, इस संबंध में आज आचार्य जी के श्रीमुख से सभी ने महत्वपूर्ण व्याख्यान सुना है.

योगी ने कहा कि हम लोगों ने दो-ढाई वर्ष पहले कानपुर में प्राकृतिक खेती पर एक सेमिनार आयोजित किया था. 500 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने उसमें प्रतिभाग किया था. इसका परिणाम है कि आज प्रदेश में हजारों हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती होनी प्रारंभ हो गई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा है कि हमें विषमुक्त खेती देनी है. उस दृष्टि से रासायनिक पेस्टीसाइड/फर्टिलाइजर की बचत करते हुए ऐसे उत्पाद जिनका उत्पादन किसान स्वयं करता है, उससे ही वह अपनी खेती को आगे बढ़ा सकता है. इस संबंध में एक अभिनव प्रयोग सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कृषि वैज्ञानिक, किसानों को प्रोत्साहित करके अधिक से अधिक भूमि पर प्राकृतिक खेती को विस्तार देंगे.