मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप गौठानों में गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं. इसी क्रम में प्राकृतिक पेंट और पुट्टी निर्माण की यूनिट्स तेजी से स्थापित की जा रही हैं. जिससे आत्मनिर्भर गांव की कल्पना साकार हो रही है. साथ ही गौठानों से गांव के लोगों को रोजगार के साथ ही उनकी आर्थिक तरक्की के लिए नए-नए अवसरों का निर्माण हो रहा है. जिले के जरवाय गौठान में डिस्टेंपर, इमल्शन पेंट के साथ ही पुट्टी का भी निर्माण हो रहा है.

बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट लोगों के जेब के साथ साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी असर डालती है. गोबर पेंट की उपयोगिता और गुणवत्ता को जन जन तक पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी शासकीय विभाग, निगम, मंडल और स्थानीय निकायों में भवनों के रंग रोगन के लिए गोबर पेंट का उपयोग अनिवार्यतः करने के निर्देश दिए हैं. उनके निर्देश का पालन करते हुए रायपुर नगर निगम भवनों की पुताई भी प्राकृतिक पेंट से की गई है. इस पेंट की खास बात यह है की इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट से कम है साथ ही गोबर से निर्मित होने के कारण रासायनिक पेंट की तुलना में इसमें महक भी नहीं की आती जिससे यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है. इसके अलावा ये घर के तापमान को सामान्य रखने में भी मदद करता है.

गोबर पेंट से रंगे कई घर और इमारत

रायपुर के जरवार गौठान में गोवर्धन स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर से प्राकृतिक पेंट बना रही हैं. यहां के गोबर से बने पेंट का उपयोग सबसे पहले रायपुर नगर निगम के भवन की पुताई के लिए किया गया था. सरकारी भवनों के अलावा आम लोगों के द्वारा भी यह पेंट पसंद किया जा रहा है. रायपुर के अलावा दूसरे जिलों में भी स्थानीय लोगों ने इस पेंट का उपयोग किया है. वहीं राजधानी में भी बहुत से लोग इस पेंट से अपने घरों की पुताई कर चुके है.

महिलाओं में कुछ नया करने की ललक

जरवाय गौठान की स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे बताती है की उनके समूह में 22 महिलाएं काम करती है. कुछ नया करने की सोच से उन्होंने गोबर से पेंट बनाने का काम शुरू किया. गोबर से पेंट बनाने के लिए महिलाओं ने विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. पेंट बनाने की शुरुआत अप्रैल 2022 से हुई और अब तक गौठान में 25 हजार लीटर का निर्माण किया जा चुका है जिसमे से 20 हजार लीटर पेंट बेच चुकी है. जिससे लगभग 8 लाख का मुनाफा समूह को हुआ है. गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, एक, चार, और दस लीटर के डिब्बों में उपलब्ध है.

ऐसे तैयार होता है गोबर से प्राकृतिक पेंट

प्राकृतिक पेंट बनाने के लिये गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है. इस तरल को 100 डिग्री तापमान में गरम करने से बने अर्क को पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है. जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है. गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) होता है. सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है. कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है. गोवर्धन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित यह पेंट महिलाओं की आय का जरिया तो है ही साथ ही महिलाओं की अलग पहचान बना रहा है.

बाजार में मिलने वाले अधिकतर पेंट में ऐसे पदार्थ और हैवी मेटल्स मिले होते है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है. केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपये प्रति लीटर से शुरू होती है पर गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट की कीमत 150 रुपये से शुरू है. गोबर से बने होने के कारण इसे बहुत से फायदे भी है जैसे यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाती है और तापमान नियंत्रित करती है.

पर्यावरण के अनुकूल

ये पेंट भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय प्रशिक्षण शाला के द्वारा प्रमाणित भी किया गया है. साथ ही यह एंटी बैक्टीरिया, एंटीफंगल, इको-फ्रेंडली, नॉन टॉक्सिक है. इस पेंट में हैवी मेटल्स का उपयोग नहीं किया गया है साथ ही गोबर से निर्मित होने की वजह से यह नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर की तरह कार्य करता है. ये पेंट पर्यावरण के अनुकूल है साथ ही इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वॉलिटी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम है. यह बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट की तरह लगभग 4 हजार रंगों में भी उपलब्ध है.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
 लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें