शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि आज 29 सितंबर को है. पूर्वी भारत भक्ति और उत्साह से सराबोर है. आज बंगाल, ओडिशा और असम में पारंपरिक नवपत्रिका स्थापना की रस्म संपन्न होगी. जिसे स्थानीय भाषा में कोलाबऊ पूजन कहा जाता है. दुर्गा पूजा का यह अनिवार्य हिस्सा मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को आमंत्रित करने और घर-परिवार में सुख, समृद्धि तथा आरोग्यता की कामना का प्रतीक है.

इस परंपरा में नौ पवित्र पौधों — केले, हल्दी, अरंडी, जई, धान, बेल, अनार, अशोक और मंजिष्ठा को स्नान कराकर पीले वस्त्र में लपेटा जाता है. इन्हें गंगा या किसी पवित्र जलधारा से लाकर दुर्गा प्रतिमा के समीप स्थापित किया जाता है. इन पौधों को ‘नवपत्रिका’ कहा जाता है और प्रत्येक पौधा मां दुर्गा के एक रूप का प्रतिनिधित्व करता है. विशेष रूप से केला वृक्ष को सजा-धजाकर कोलाबऊ का रूप दिया जाता है, जिसे लोककथाओं में गणेश जी की पत्नी भी माना जाता है.

शोभा यात्रा निकाली जाएगी

ढाक की गूंज, शंखनाद और भक्ति गीतों के बीच जब नवपत्रिका की शोभायात्रा निकलती है तो वातावरण पूरी तरह दिव्य और अद्वितीय हो उठता है. धार्मिक मान्यता है कि इस अनुष्ठान से मां दुर्गा अपने नौ रूपों के साथ भक्तों के जीवन में आरोग्य, समृद्धि और मंगल का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

रोचक तथ्य

कहा जाता है कि यह परंपरा वैदिक कालीन नवपात्र पूजन से जुड़ी है, जिसका उद्देश्य प्रकृति और कृषि से आशीर्वाद लेना था. कोलाबऊ को गणेश जी की पत्नी के रूप में भी मानने की लोककथा है, इसलिए इसे ‘गणेश वधू’ कहा जाता है. इस दिन दुर्गा पूजा पंडालों में ढाक की थाप और शंखनाद के बीच नवपत्रिका की शोभायात्रा निकालने का भी विशेष महत्व है.