Navratri Special: नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विशेष पूजा की जाती है. माउंट आबू से 45 किमी. दूर अम्बा माता का प्राचीन शक्तिपीठ है. यह मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित है. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है. खास बात यह है कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यह भी माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां दर्शन के लिए आता है देवी माता उसकी झोली खुशियों से भर देती हैं. आइए जानते हैं इस मंदिर की खासियत के बारे में.

Navratri Special “श्री विजय यंत्र” की पूजा

अम्बाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा में स्थित है. यह मंदिर अम्बा देवी को समर्पित है. आपको बता दें कि अम्बाजी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर में देवी की कोई छवि या मूर्ति नहीं है. पवित्र “श्री विजय यंत्र” की पूजा मूर्ति के बजाय मुख्य देवता के रूप में की जाती है. कोई भी नग्न आँख इस यंत्र को नहीं देख सकती. इसलिए आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा की जाती है. साथ ही यहां फोटोग्राफी करना भी सख्त वर्जित है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1975 में शुरू हुआ जो आज भी जारी है. सफेद संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इसका शिखर 103 फीट ऊंचा है और 358 स्वर्ण भंडारों से सुसज्जित है. मंदिर से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर गब्बर नामक पर्वत भी है, जहां देवी का एक और प्राचीन मंदिर स्थापित है.

गब्बर पहाड़ी पर हे मां के पैरों के निशान

अम्बाजी माता का मूल स्थान शहर में गब्बर पहाड़ी की चोटी पर है. वहां तक ​​पहुंचने के लिए 999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. मान्यता है कि यहां एक पत्थर पर मां के पैरों के निशान बने हुए हैं. अम्बाजी के दर्शन के बाद भक्तों को गब्बर पहाड़ के दर्शन अवश्य करने चाहिए. हर साल विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में आते हैं. भाद्रवी पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) पर एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है. हर साल देश-विदेश से लोग मां अम्बे की पूजा के लिए अपने गृहनगर से पैदल चलकर यहां आते हैं. अम्बाजी मंदिर विदेशों में बसे गुजरातियों के दिलों में भी एक विशेष स्थान रखता है. नवरात्रि के दिनों में मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. (Navratri Special)