नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने मंगलवार को भरी सभा में स्वीकार किया कि इस्लामाबाद ने 1999 में उनके और उनके भारतीय समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हस्ताक्षरित समझौते का “उल्लंघन” किया, जिसके बाद कारगिल युद्ध हुआ. इसे भी पढ़ें : स्वास्थ्य केंद्र में 3 करोड़ रुपए के गबन में जिला कोषालय अधिकारी से लेकर वार्ड बॉय तक शामिल, लिपिक को गिरफ्तार कर भेजा जेल, अन्य के विरुद्ध कार्यवाही जारी…
नवाज शरीफ ने कहा, “28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया. लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया…यह हमारी गलती थी.”
21 फरवरी, 1999 को नई दिल्ली में आयोजित एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद, शरीफ और वाजपेयी ने लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ाने के लिए किए गए समझौते के कुछ महीने बाद जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के नतीजे में कारगिल युद्ध हुआ था.
शरीफ ने कहा, “(अमेरिकी) राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए 5 अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने इनकार कर दिया. अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होते तो उन्होंने क्लिंटन की पेशकश स्वीकार कर ली होती.”
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74 वर्षीय शरीफ ने आगे कहा कि कैसे पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने 2017 में उन पर प्रधानमंत्री रहते हुए झूठा आरोप लगाया था, जिसके नतीजे में उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक नेता इमरान खान के खिलाफ आरोप वास्तविक थे, लेकिन उनके खिलाफ सभी आरोप झूठे थे.
बता दें कि पनामा पेपर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पद गंवाने के छह साल बाद तीन बार के पीएम नवाज शरीफ को मंगलवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है.
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