बिंदेश पात्र, नारायणपुर। सरकार की पुनर्वास योजना के प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और नक्सल पीड़ित परिवार मझधार में फंस गए हैं. एक तरफ नक्सलियों की प्रताड़ना सह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर योजना के लाभ से भी वंचित हैं. ऐसे ही नक्सली और पीड़ित परिवार लामबंद होकर गुडरीपारा में बैठक आहुत कर 18 मार्च को रायपुर में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन का निर्णय लिया.
छत्तीसगढ़ शासन की नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना के लाभ से जिला नारायणपुर के पीड़ित परिवार वंचित हैं. अपनी जायज मांगों के समर्थन में पीड़ित परिवार ने 6 मार्च को रायपुर के टाटीबंध मेन हाईवे जाम करने का आह्वान किया था, लेकिन बैठक में नक्सल पीड़ित संगठन के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर उच्च अधिकारियों से चर्चा के बाद 15 दिनों के लिए चक्काजाम स्थगित किया गया.
बैठक में शामिल जन सेवा संगठन नक्सल पीड़ित प्रदेश अध्यक्ष विजय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि जिले में लगभग 2000 से अधिक नक्सल पीड़ित परिवार हैं, जबकि प्रशासन अब तक 577 लोगों को नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना के तहत लाभ देने की बात कह रही है. जिला प्रशासन का दावा पूरी तरह से गलत है. यहां पर किसी भी नक्सल पीड़ित परिवार को पुनर्वास योजना के लाभ नहीं मिला है.
नक्सल पीड़ित महिला सोनबती पोटाई ने बताया कि नक्सली और पुलिस के बीच आम आदमी ही दोनों तरफ से पिस रहा है, नक्सल पीड़ित परिवारों को पुनर्वास योजना का लाभ जब तक नहीं मिलेगा, नक्सलवाद खत्म नहीं होगा.
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वहीं नक्सल पीड़ित परिवार की सदस्य रजनी गोटा ने बताया कि पुनर्वास योजना के तहत नक्सल पीड़ित परिवार को धरातल पर काम नहीं हुआ है, केवल कागजों में योजनाएं बनी हुई है. जिला प्रशासन नक्सल पीड़ित परिवारों को जमीन, पेयजल, बिजली, सड़क, शिक्षा, राशन सहित अन्य सभी जरूरी सुविधाएं सुलभ कराने दावा कर रही है.
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