पंकज सिंह भदौरिया,दन्तेवाड़ा. जिले में 3 दिनों की बारिश ने बुरगुम और रेवाली ग्राम पंचायत को टापू में तब्दील कर दिया है. मलगेर नदी के उफान में आने से 3000 ग्रामीण रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जान जोखिम में डाल उफनती नदी को पार कर रहे है. नक्सलियों ने सड़के काट दी और शासन नदी के पार अब तक विकास लेकर पहुंचा ही नहीं है. राशन लेने के लिए भी ग्रामीण खतरा उठाकर इस नदी को पार करने को मजबूर है. साथ ही शिक्षक भी इसी तरह हर साल बारिश में नदी परा कर पढ़ाने जाते है.

दरअसल ये तस्वीर किसी सर्कस के खेल तमाशे की नहीं. बल्कि ये दन्तेवाड़ा जिले के उस हिस्से का किस्सा है. जहां लाल तंत्र और सरकार के बीच आदिवासी ग्रामीण फंसे हुए है. कुआकोंडा ब्लाक के नक्सल क्षेत्र में मलगेर नदी 3 दिनों की बारिश में उफान पर है. और नदी के पार बसे गांव के ग्रामीण, महिलाए पीडीएस का राशन लेने जान जोखिम में डालकर नदी को पार कर रही है. सड़क नक्सलियों ने कई जगह से काट दी है. सरकारी राशन अब मलगेर नदी के पार नहीं पहुंचता है. सरकार की 108 संजीवनी, महतारी एक्सप्रेस भी इन गांवों पर बरसात में दम तोड़ देती है.

वर्षो से ये हालात बुरगुम और रेवाली गांव के बारिश आते ही ऐसे हो जाते है. जहां बीमार लोगों को उल्टी खाट पर देशी एम्बुलेंस से नदी के पार अस्पताल तक जाना पड़ता है. सरकार की हर दावे मलगेर नदी के पार फेल नजर आते है. जहां आम जिंदगी हर दिन अपनी जिंदगी से लड़कर नदी के उस पार से इस पार आती जाती है. पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहती है. और सरकार विकास के लाख दावे कर ले पर ग्राम की सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है.

बता दें कि बारिश की वजह से दो से तीन महीने तक यह स्कूल बंद हो सकते है. मलगेर नदी बारिश में भर जाती है जिसके कारण से बुरगुम, रेवाली, डोरापारा, पुजारीपाल, बोज्जा पारा शामिल है. इन सभी स्कूलों के शिक्षकों को आने जाने के लिए नदी पार कर जाना होता है. जिसे पार करते समय नदी में डूब या बह जाने का खतरा बना रहता है.

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