नई दिल्ली-  नक्सलवाद के खात्मे के लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई उच्च स्तरीय बैठक में तय किया गया है कि नक्सलियों के खिलाफ अब सिर्फ- आक्रमण, आक्रमण और आक्रमण की नीति के तहत ही काम किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि माओवादियों से बदला ही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने दो टूक कहा कि माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में अब शब्दबाण नहीं चलाएंगे, बल्कि ईंट का जवाब पत्थर से और गोली का जवाब गोलियों से दिया जाएगा।

सुकमा के बुर्कापाल में हुए नक्सल हमले में 25 जवानों की शहादत के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल प्रभावित दस राज्यों की उच्च स्तरीय बैठक में इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि माओवादियों के खिलाफ लड़ी जा रही लडा़ई में अब तक एक भी बड़ी कामयाबी सुरक्षा बलों के हिस्से नहीं आई है। माओवादियों के बड़े लीडर को पकड़ने का एक भी घटनाक्रम याद नहीं है। उन्होंने अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस के बीच बेहतर समन्वय बनाए जाने पर जोर दिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि माओवादियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में सुरक्षा बलों को डिफेंसिंव तरीके से लड़ने की आदत छोड़नी होगी। माओवादी के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाना होगा।  बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह समेत दस राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, अर्ध सैनिक बलों के आला अधिकारी शामिल हुए।

बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की बड़ी बातें-

  • विगत 20 वर्षों में देश के 12 हजार लोगों की जान माओवादी हिंसा में गई है.
  • इन 12 हजार लोगों को 27 सौ सुरक्षा बलों के जवान हैं, जबकि 9 हजार 300 निर्दोष, निरीह और मासूम जनता है.
  • विगत 4 महीने में 49 जवानों की शहादत हुई है, इसमें से सर्वाधिक सीआरपीएफ के जवान हैं.
  • नक्सली विध्वंस से यह जाहिर है कि वे दुरस्थ तथा दुर्गम अंचलों में विकास के साधन तथा सुविधाएं नहीं पहुंचने देना चाहते, क्योंकि ये संस्थाएं और सुविधाएं स्थानीय जनता के मन में शासन के प्रति विश्वास और परस्पर तालमेल का माध्यम बनती है और नक्सलवादी रणनीति ही इस बात पर आधारित है कि स्थानीय जनता औऱ सरकार एक ना हो पाए.
  • नक्सल घटना इंटेलीजेंस फेलर नहीं, बल्कि इमेजिनेशन फेलर की तरह है। इसे इस तरह से ही लिया जाना चाहिए.
  • नक्सल मोर्चे पर हमारी सोच का दायरा अपने कैंप की सुरक्षा ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि नक्सलियों के घर में घुसकर तबाही मचाने की होनी चाहिए.
  • मोर्चे पर काम कर रहे सुरक्षा बलों के बीच समन्वय औऱ सहयोग होना जरूरी है.
  • अत्यंत सुरक्षात्मक तैनाती से आपरेशनल आक्रामकता कम हो जाती है, इसका ध्यान रखना चाहिए.
  • सोच में आक्रामकता, रणनीति में आक्रामकता, बलों की तैनाती में आक्रामकता, आपरेशन्स में आक्रामकता, विकास में आक्रामकता, सड़क निर्माण में आक्रामकता होनी जरूरी है.