रिपोर्ट- विकास तिवारी

 

फाइल फोटो

बस्तर। जो आदिवासी माओवाद के खिलाफ कभी सरकार समर्थित सलवा जुडूम का हिस्सा बने थे या जिनके परिवार के सदस्य एसपीओ में शामिल रहे अब वे माओवादियों का शिकार हो रहे हैं। उन्हें शासन-प्रशासन का जरा भी संरक्षण नहीं मिल रहा है। ऐसे आदिवासियों को या तो फिर अपना गांव छोड़ कर कहीं और ठौर ठिकाना ढूंढ़ना पड़ रहा है या फिर उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है।

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दरअसल नक्सलियों ने एक बार फिर एक साथ 7 परिवारों को गांव छोड़ने का आदेश दिया है। मामला पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के कोर्रापाढ़ गांव का है, ग्रामीणों के अनुसार नक्सली लीडर पाढ़ा अप्पू अपनी टीम के साथ गांव पहुंचा था और 7 परिवारों को सोमवार शाम तक गांव छोड़ने का आदेश दिया है। गांव नहीं छोड़ने की स्थिति में इन्हें मौत के घाट उतारने की चेतावनी दी है। बताया जा रहा है कि इन परिवारों के सदस्य या फिर रिश्तेदार पुलिस में शामिल हैं।

नक्सलियों के फरमान के बाद पीड़ित परिवार दहशत में हैं। इससे पहले जून 2016  में भी नक्सलियों ने इसी तरह 9 परिवारों को गांव छोड़ने का आदेश दिया था। गांव नहीं छोड़ने पर 1 परिवार के सदस्य की हत्या कर दी थी। वहीं बाकि के परिवार अब दोरनापाल और दूसरे जगह जाकर मजदूरी करने पर मजबूर हैं। पिछले साल जो 9 परिवारों को नक्सलियों ने बेदखल किया था वो उनमें से ज्यादतर परिवार के लोग सलवा जुडूम में हिस्सा लिए थे।