पवन दुर्गम,बीजापुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर का नाम सुनते ही जहन में गोलियों की आवाज सुनाई देती है, क्योंकि यह नक्सल प्रभावित इलाका है, लेकिन अब तस्वीर बदलने लगी है. लोग इन्हीं जगहों से पढ़-लिखकर बुलंदियों को छू रहे हैं. नई उड़ान भर रहे हैं. दरअसल बीजापुर के सुदूर अंचल उसूर में सुविधाओं के अभाव में दुर्गम परिवार प्रदेश के लिए एक मिसाल से कम नहीं है.

कम संसाधनों के बावजूद पिता ने शिक्षा पूर्ण की और शिक्षक का दायित्व विगत 4 दशकों ने निभा रहे हैं. सामाजिक क्षेत्र में भी डी नागेश्वर सदैव तत्पर रहने वाले व्यक्ति हैं. पिता और उनके 3 सपूत इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बने हुए हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा में एक ही परिवार के 3 सगे भाई-बहनों ने परचम लहराया है. राज्य प्रशासनिक सेवा में चयनित तीनों की प्राथमिक शिक्षा बीजापुर के अंग्रेजी माध्यम स्कूल “अल्फा” से पूरी हुई है.

बेटी अर्चना दुर्गम ने 2018 की PSC की परीक्षा में एससी केटेगरी से 14 और ओवर ऑल 268 रैंक हासिल करके अपने योग्यता का लोहा मनवाया है. प्राप्तांको के आधार पर महिला एवं बाल विकास अधिकारी के पद पर पदस्त हो सकती हैं. परिणाम घोषित होने के बाद अर्चना को सोशल मीडिया में भी खूब बधाइयां मिल रही हैं. वहीं क्षेत्र के आमलोग और जनप्रतिनिधियों ने भी घर जाकर बधाई दी है.

वहीं प्रीति और हिमांशु दुर्गम ने 2016 PSC परीक्षा में अपनी दक्षता साबित की थी. छत्तीसगढ़ लेवल पर 33 रैंक हासिल कर प्रीति डिप्टी कलेक्टर के पद पर दंतेवाड़ा में पदस्त है. वहीं छोटे भाई हिमांशु ने प्रीति के साथ ही PSC में चयनित हुए थे आबकारी निरीक्षक के पद पर हिमांशु दंतेवाड़ा में पदस्त हैं.

दो बेटी और बेटे के राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन होने के बाद पिता दुर्गम नागेश्वर भी खासे खुश और उत्साहित हैं. वे कहते हैं कि मेरा जीवन सफल हो गया है, एक पिता के लिए इससे बड़े सम्मान की बात नहीं हो सकती कि उसके बेटियाँ उसका समान बढ़ाएं. नागेश्वर ने कहां सभी अभिभावकों और पिताओ से अपील करूँगा की वे अपने बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करें और उच्च शिक्षा देने हरसंभव प्रयास करें ताकि हर बेटी माता पिता का सर फ़क्र से ऊँचा करें.