रायपुर। नक्सलियों ने प्रदेश की भूपेश सरकार पर पूर्व सरकार की तरह ही आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने का गंभीर आरोप लगाया है. नक्सलियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार के साथ ही मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ भी आरोप लगाए हैं, उन्होंने लखमा को गद्दार और धोखेबाज बताया है.

नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिविजनल कमेटी के सचिव विकास ने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है, “जिसमें उन्होंने सुकमा जिले के चिंतलनार पंचायत स्थित कोतागुड़ा गांव में 14 सितंबर की घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि ग्रामीण अपने गांव के पुजारी(गायता) को चुनने के लिए अपनी परंपरा के अनुसार शिकार करने जंगल में गए थे. जंगली सुअर जो शिकार के दौरान घायल हुआ था, का पीछा करने के दौरान चिंतलनार थाना अंतर्गत के बुर्कापाल कैंप से गश्त पर निकली डीआरजी के जवानों ने ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी करके तीन ग्रामीणों – सोड़ी देवाल, मुचाकी हड़मा, मुचाकी हिड़मा की निर्मम हत्या की. इनमें से सोड़ी देवाल की घटना स्थल पर ही मौत हुई जबकि दो अन्य ग्रामीणों को घायल अवस्था में पकड़कर उन्हें आमानवीय यातनाएं देकर पुलिस ने उनकी जघन्य हत्या की.” विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, ” इस घटना में घायल बाड़से जोगा सहित पांच ग्रामीणों को पकड़कर थाना ले जाकर बेदम पिटाई के बाद छोड़ दिया गया. ये पुलिस की इस क्रूर करतूत के प्रत्यक्ष गवाह हैं.”

नक्सलियों ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए मानवाधिकार संगठनों के साथ ही आदिवासी और गैर आदिवासी संगठनों व शिक्षकों-कर्मचारियों और आम जनता से इसका विरोध करने की अपील की है.

माओवादियों ने अपनी विज्ञप्ति में प्रदेश की भूपेश सरकार पर अपने चुनावी वादों के इतर कार्य करने का गंभीर आरोप भी लगाया है, उन्होंने प्रदेश सरकार पर भाजपा शासनकाल में शुरु की गई ‘समाधान’ योजना को जारी रखने पर आक्रोश जताया है. नक्सली सचिव ने आगे लिखा है, “भाजपा के शासनकाल में फर्जी मुठभेड़ों का विरोध करने का दिखावा करने वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार द्वारा 2 फरवरी को सुकमा जिले के गोडेलगुड़ा में अंधाधुंध गोलीबारी करके आदिवासी महिला पोडियाम सुक्की की हत्या की गयी जबकि उसी घटना में और एक महिला कलमू देवे को गंभीर रूप से घायल किया गया.” नक्सलियों ने बीजापुर के भैरमगढ़ तहसील के ताडबल्ला गांव की घटना का भी जिक्र कर आदिवासियों की हत्या का आरोप लगाया है. 

नक्सलियों ने प्रदेश के उद्योगमंत्री कवासी लखमा को गद्दार और धोखेबाज बताया है. उन्होंने विज्ञप्ति में आगे लिखा है, “चुनाव के पहले आदिवासी हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाले ढोंगी, आदिवासियों का गद्दार, धोखेबाज कवासी लखमा सत्ता में बैठते ही आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन व संसाधनों को कौड़ियों के भाव देशी, विदेशी पूंजीपतियों के हवाले करने के लिए स्वयं उद्योग मंत्री बन बैठे हैं.” उन्होंने लखमा पर फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मियों को आउट आफ टर्न प्रमोशन दिलवाने का आरोप लगाया है. माओवादियों के सचिव ने लिखा है, “ उसी की देखरेख में छत्तीसगढ़ भू अर्जन, पुनर्वास, पुनर्व्यवस्थापन कानून, 2019 पास कराया गया है जोकि राज्य के किसानों, दलितों व आदिवासियों की जमीनों, जंगलों, खदानों को छीनकर पूंजीपतियों के हवाले करने के लिए ही बनाया गया है. आदिवासियों को दहशत में डालकर खनन परियोजनाओं जैसे नंदराज पहाड़ से लेकर उत्तर में हाहलादी, मानपुर तक एवं वृहद बांध परियोजनाओं को शुरु कराने के लिए ही फर्जी मुठभेड़ों व मुठभेड़ों, गिरफ्तारियों, गांवों पर हमलों, अत्याचारों, जनता की बेदम पिटाई का सिलसिला जारी है.”

सुकमा एसपी शलभ सिन्हा ने नक्सलियों की इस पर्चे को उनकी बौखलाहट करार दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्रवाई आगे भी चलते रहेगी.