पवन दुर्गम, बीजापुर। जिले में सरकारी शराब दुकानों से कोचियों की सांठगांठ के चलते शराबखोरी का खेल फलने फूलने लगा है. सीमावर्ती तेलांगाना और महाराष्ट्र से भी शराब की तस्करी छत्तीसगढ़ की सीमा में किया जा रहा है. शराबखोरी में प्रमुख रूप से युवाओं और किसानों की तादाद ज्यादा है. सरकारी लगाम नाकाफी होने लगी है. अब नक्सलियों ने सड़क पर पर्चे फेंक शराब दुकानों पर ताला लगाने फरमान जारी किया है. इसके पहले भी नक्सलियों ने भोपालपटनम शराब दुकान की दीवारों को लाल स्याही संदेशों से रंग दिया था.

भोपालपटनम तहसील क्षेत्र बारेगुड़ा सड़क पर नक्सलियों ने पर्चे डाल कोचियों को अवैध अंग्रेजी शराब बेचने से मना किया है. भोपालपटनम से लगे वरदल्ली, लिंगापुर, नलमपल्ली, दम्मूर गांव के दर्जन भर से अधिक कोचियों के नाम नक्सलियों ने पर्चो में लिखे हैं. नाम लिखे जाने से अब कोचियों के भी हाथ पांव फूलने लगे हैं.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मद्देड़ नेशनल पार्क एरिया कमेटी के जारी इन पर्चों में कोचियो द्वारा चोरी छुपे भी शराब बेचने पर सख्त कार्यवाही करने की धमकी के साथ दो सेल्समैन का नाम भी लिखा गया है.

शराबबंदी नक्सली फरमान की वजह

भोपालपटनम से बारेगुड़ा और मट्टीमरका का क्षेत्र महाराष्ट्र का सीमावर्ती इलाका है. महाराष्ट्र की सीमा इंद्रावती नदी के उस पार है ऐसे में तस्करी और कोचियों के लिए मुनाफे का काला खेल आसान है. वहीं भोपालपटनम एक मात्र सरकारी शराब दुकान है जहाँ से शराब बेची जाती है. भोपालपटनम से मट्टीमरका की दूरी करीब 15-20 किमी दूर है. जिसकी वजह से कोचियों की तादाद सड़क किनारे लगे गांवो में ज्यादा है. आसानी से कोचिये सेल्समेनों की मदद से अवैध शराब को खपाने में कामयाब हो जाते हैं. नक्सलियों ने बारेगुड़ा सड़क पर पर्चे डालकर लिखा कि पटनम से मट्टीमरक तक ग्रामीण विदेशी शराब पीकर अपनी जान माल का नुकसान कर रहे है. नक्सलियों ने अपने परंपरा रीति रिवाजों के मुताबिक अनुसार शादी ब्याह और त्योहारों में देशी महुवा दारू के उपयोग की छूट दी है.

थाने में नहीं की शिकायत

एसडीओपी भोपालपटनम अभिषेक सिंह ने लल्लूराम. कॉम को बताया कि प्रथम दृष्टया यह लग रहा किसी शरारती का काम होगा. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनके ही किसी साथी कोचिये ने किया होगा. माओवादियों ने नही फेंका ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. दो एरिया मद्देड, नेशनल पार्क एरिया कमेटी के नाम से पर्चे फेंके गए हैं. जिनके नाम पर्चों में लिखे गए हैं. जिनके नाम पर्चों में लिखे गए हैं उनसे से किसी ने भी अब तक थाने में लिखित सूचना नहीं दी है.

बता दें कि नक्सलियों ने गत वर्षों में भोपालपटनम शराब दुकान की दीवारों पर लाल स्याही से फरमान लिख शराब दुकान बंद करने का फरमान जारी किया था जिसे बाद में हटाया गया था. पोस्टरवार के लिए बारेगुड़ा की सड़क पर नक्सली पहले भी बेनर पोस्टर लगाते रहे हैं. वहीं इस फरमान के बाद कोचिये और सेल्समैन दोनों दहशत है.

एक ओर सरकार शराब की अवैध तस्करी रोकने का दम्भ भरती है वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों से दलाल तस्करी में लगे हैं. जिसकी वजह से अब नक्सली भी आम जनमानस में अपनी पैठ बनाने ग्रामीणों पर शराबखोरी पर लगाम लगाने पर्चे जारी कर रहे हैं. सेल्समैन और कोचिये ही असल में वो कड़ी हैं जो पारा, मोहल्ला और घरों तक शराब को पहचाने का आसान माध्यम होते हैं जिसकी वजह से माओवादियों ने इस कड़ी को कड़ा संदेश दिया है.