Babri Masjid: NCERT कक्षा 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है। इस किताब में मस्जिद की जगह ‘तीन गुंबद वाला ढांचा’ लिखा गया है। वहीं 4 की जगह सिर्फ 2 पन्नों में अयोध्या (Ayodhya) का जिक्र किया गया है। किताब से बाबरी मस्जिद के अलावा, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों से जुड़े कुछ चैप्टर हटा दिए गए हैं। अयोध्या वाले चैप्टर में बीजेपी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, कार सेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद हुई हिंसा और राष्ट्रपति शासन के साथ ही बीजेपी की खेद वाली बातें शामिल हैं।
NCERT की 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की नई किताब से बाबरी मस्जिद का नाम हटाकर उसकी जगह ‘तीन गुंबद वाला ढांचा’ लिखा गया है। साथ ही अयोध्या मामले को भी 4 पेज से कम कर अब सिर्फ 2 पेज में समेट दिया गया है। पहले की किताब के मुकाबले अब नई किताब से अयोध्या मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण विवरण हटा दिए गए हैं।
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पुरानी किताब में क्या लिखा था
पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का परिचय मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया था। वहीं अब अध्याय में इसका उल्लेख इस प्रकार किया गया है कि एक तीन-गुंबद वाली संरचना 1528 में श्री राम के जन्म स्थान स्थल पर बनाया गया था, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों के चिन्ह बने हुए थे. इसके अलावा अंदर और बाहर दीवारों पर मूर्तियां भी बनी हुई थीं। पुरानी किताब के दो पेज में यही बताया गया था कि फैजाबाद जिला अदालत द्वारा 1986 में मस्जिद खोलने के फैसले के बाद किस तरह से मोबिलाइजेशन किया गया था। 1992 में राम मंदिर बनाने के लिए रथ यात्रा और कार सेवा की वजह से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था जिसके बाद 1993 में सांप्रदायिक दंगे हुए। वहीं इस बार बताया गया है कि बीजेपी ने अयोध्या की घटनाओं को लेकर दुख व्यक्त किया।
नई किताब में किया लिखा
इधर नई किताब में बताया गया है कि 1986 में फैजाबाद जिला कोर्ट ने तीन गुंबद वाले ढांचे (बाबरी मस्जिद) को खोलने का आदेश दे दिया और लोगों को पूजा करने की इजाजत मिल गई। किताब में लिखा है कि ऐसा माना जाता था कि इस तीन गुंबद वाले ढांचे को भगवान राम के जन्मस्थान पर बनाया गया है। इसके बाद राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन आगे मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी गई।
नई किताब में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शामिल किया गया है। इसमें बताया गया कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाया कि यह जमीन मंदिर की है. इसके साथ ही पुरानी किताब में कुछ न्यूज पेपर कटिंग की तस्वीरें लगाई गई थीं जिनमें बाबरी ढहाने के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाने का आदेश शामिल था.। लेकिन अब नई किताब में इसे हटा दिया गया है. इसके साथ ही लोकतांत्रिक अधिकार नाम के 5वें चैप्टर में गुजरात दंगों का जिक्र हटाया गया है।
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