तखतपुर, अभिषेक सेमर– देशभर में राष्ट्रीय प्लस पोलियो अभियान के जरिए शून्य से पांच वर्ष के बच्चों को पोलियो ड्राफ पिलाना था. जिसे लेकर स्वास्थ्य महकमा को जागरूक भी देखा गया, लेकिन इस जागरूकता का अनोखा नमूना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक में देखने को मिला. यहां जिस मापदंड के अधीन पोलियो ड्राफ़ पिलाना था. उसका पालन नहीं किया गया.
दरअसल, 10 मार्च को पूरे छत्तीसगढ़ में पल्स पोलियो अभियान चलाया गया. इस अभियान की कमियां देखी गई है. यह कमियां बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखी गई. जिसमें पल्स पोलियो पिलाने के लिए पूरे 8 दिनों का अभियान चालू करना था. जिसके मद्देनजर कई परिजन अपने बच्चों को लेकर पहुंचे थे. लेकिन यहां की व्यवस्था लचर होने के कारण से सुबह 8 की जगह 10 बजे तक पल्स पोलियो कीट नहीं पहुंचा था. साथ ही उसके अंदर जो मापदंड होने चाहिए, जैसे दवाओं को रखने के लिए आइस पैक होने चाहिए. लेकिन एक आइस पैक में पानी पाउच रखा गया था, जिसमें पल्स पोलियो के जो वायल रखे थे, वह कहीं ना कहीं सुरक्षित नहीं थे.
इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि जब इस गंभीर लापरवाही की जानकारी के सम्बन्ध में खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डॉ. निखिलेश गुप्ता के संपर्क किया गया तो पहले तो फोन कॉल का जवाब भी देना मुनासिफ नहीं समझे. वहीं जब फोन दो से तीन बार लगाने पर फोन उठाए और मामले में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए गैर जिम्मेदाराना जवाब देकर फोन काट दिए.
बता दें कि इस संबंध में जब मीडिया ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से बातचीत की तो पोलियो ड्राफ़ की ड्यूटी में तैनात कर्मियों ने बड़े संकोच और डर में आ गए. पहले तो कहने लगे कि अगर हमने मीडिया से बातचीत की तो खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. निखलेश गुप्ता उनके खिलाफ कार्रवाई कर देंगे. वहीं जब उन्हें भरोसे में लेकर बातचीत की गई और सवाल में पूछा गया कि- पल्स पोलियो खुराक के लिए क्या क्या सुविधा मुहैया कराया गया है. तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि सवेरे 8 बजे से हम अपने सेंटर में पहुंच गए थे, लेकिन पल्स पोलियो की जो किट हमको पहले से मिल जाता था.
वह हमें सुबह 10 बजे मुहैया कराया गया है. साथ ही पल्स पोलियो कीट में एक ही आइस पैक दी गई थी. जिसमें 4आइस पैक होने चाहिए थे, जिन की जगह एक ही दिया गया था और उसकी जगह पानी पाउच डाल कर भेजा गया था. साथ ही बैनर पोस्टर भी मुहैया नहीं कराया गया था. जिससे ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के इस मुख्य अभियान का यहां महज औपचारिकता निभाया गया या फिर तखतपुर के BMO पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता.