रेखराज साहू, महासुमंद। समाज कल्याण विभाग के द्वारा संचालित दिव्यांग सहायक उपकरण प्रदाय योजना महासमुंद जिले में प्रशासनिक लापरवाही के भेंट चढ़ती हुई दिख रही है. दिव्यांग यहां सालभर से सहायक उपकरण के लिए विभाग का चक्कर काट रहे हैं आावेदन देने के बावजूद अभी तक उपकरण वितरित नहीं किए गए हैं.
दिव्यांग थक हारकर जहां अब कलेक्टर से उपकरण प्रदाय कराने की गुहार लगा रहे है, वहीं समाज कल्याण विभाग के आला अधिकारी अपना ही राग अलाप रहे हैं. उपकरण बांटने में अधिकारियों की लापरवाही सरकार की योजनाओं को पलीता लगाती नजर आ रही है. अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और जनता परेशान हो रही है.
जानकारी के अनुसार साल 2014 के सर्वे के में महासमुंद जिले में 12583 दिव्यांगजन है. जिनमें से 7718 अस्थि बाधित, 880 श्रवण बाधित, 1794 दृष्टिबाधित, 1254 मंदबुद्धि बाधित , 898 बहुविकलांग, 39 बौने हैं. समाज कल्याण विभाग को वर्ष 2018-19 से लेकर वर्ष 2019-20 के मध्य 237 आवेदन उपकरण के लिए प्राप्त हुए हैं. जिनमें मोट्राईस ट्राईसायकल के लिए 96 , ट्राईसायकल के लिए 56 , व्हीलचेयर के लिए 26 , वैसाखी के लिए 26 , श्रवणयंत्र के लिए 33 आवेदन आए हैं. अगस्त 2019 में एलमको के द्वारा जिले में कैम्प लगाया गया था. जिनमें 128 आवेदन विभिन्न उपकरण के लिए प्राप्त हुए.
समाज कल्याण विभाग को 365 आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन विभाग आज तक इन दिव्यांगो को उपकरण प्रदान नहीं कर पाया है. उपकरण न मिलने से परेशान दिव्यांग कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुके हैं. और थक हार कर अब कलेक्टर से फरियाद कर रहे हैं. दर्जन भर से अधिक दिव्यांगों ने कलेक्टर जन चौपल में शिकायत की है.
दिव्यांग सविता निषाद ने बताया कि उपकरण नही मिलने से चलने में काफी अधिक में परेशानी होती है समाज कल्याण विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपर से आयेगा तब मिलेगा कह कर एक साल से घुमा रहे हैं. कार्यालय के चक्कर काटकर अब थक चुके हैं.
वहीं समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक धर्मेन्द्र कुमार साहूसे जब इस मामले पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में अगस्त महीने में एलिम्को द्वारा केम्प का आयोजन किया गया. जिसमे 128 आवेदन प्राप्त हुए. पिछले पेंडिग आवेदन 237 हैं उन उपकरणों की अभी खरीदी की प्रोसेस नहीं हुई होगी इस कारण लटका हुआ होगा. मै अभी ट्रांसफर सेआया हुं टेंडर और डिमांड केश की जानकरी लेकर आगे निराकरण करने की कोशिश करेंगे.
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग के द्वारा सालभर पहले जिन दिव्यांगो को उपकरण दिये थे वे दो-चार महीने में ही खराब हो गए, जो बनवाने के लिए आये दिन विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं.