यत्नेश सेन, देपालपुर (इंदौर)। मध्य प्रदेश के देपालपुर में धोक पड़वा पर्व मनाया गया। यादव (गवली) समाज के लोग अपनी परंपरा को नई पीढ़ी को निर्वाहन करने के लिए आज भी प्रेरित करते है। धोक पड़वा पर सामूहिक रूप से पूजन के बाद फिर पशु छोड़ते है इसके बाद पाड़ों को आपस में लड़ाते हैं, जिसे देखने के लिए करीब पांच से छह हजार लोग इकट्ठा होते है।
धोक पड़वा पर आज भी परंपरा बनी हुई है, जिसे निभाने के लिए यादव (गवली) समाज के लोग नई पीढ़ी को भी अपनी परंपरा से निर्वाहन करने के लिए प्रेरित करते है। धोक पड़वा पर सामूहिक रूप से पूजन के बाद पशु छोड़ते है व पाड़ों को आपस मे लड़ाते हैं। जिसे देखने के लिए करीब हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। ये लोग लाखों रुपय कीमत के दो पाड़े लाते है उन्हें साल भर खिलाकर लाखों खर्च कर इन्हें पालते है व दिवाली के दूसरे दिन इन्हें आपस में ही लड़ाते है।
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आज बादल व धनुष तथा छोटा भंवर व जॉनी के बीच करीब आधा आधा घंटे तक भिड़ंत हुई। लेकिन दोनों टस से मस नहीं हुए आखिरकार इन्हें पैरों में रस्सी डालकर अलग किया गया । दोनों पाड़ों की लड़ाई में जनता भी ताली बजाकर पाड़ों का उत्साह बढ़ाते रहे। वही पाड़ों की लड़ाई का जनता एक साल तक इंतजार करती है। पाड़ा पालक भी जनता का विशेष ध्यान रखते हुए दिवाली मिलन समारोह रख कर आने वाली जनता के लिए नास्ते व ठंडे पानी की व्यवस्था करते है। पाड़ों की लड़ाई के लिए खेत को समतल करते है फिर पाड़ों को नहलाकर व तेल लगाकर युद्ध मैदान में लाते है और इन पाड़ों को लड़ाते है और जब तक जनता नहीं कहती तब तक इन्हें लड़ाते है।
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