काठमांडू। भारतीय सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर केवल भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क नेपाल में भी कश्मकश की स्थिति है. यह वजह है कि नेपाल सरकार ने भारत से अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को निलंबित रखने का आग्रह किया है.

नेपाल के अखबार के मुताबिक, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने नई भर्ती योजना के तहत नेपाली गोरखाओं की भर्ती की योजना को स्थगित करने की अपील की. बताया जा रहा है कि खडके ने श्रीवास्तव को बताया कि साल 1947 का त्रिपक्षीय समझौता अग्निपथ स्कीम के तहत भारत की नई भर्ती नीति को मान्यता नहीं देता है.

जून में हुई थी योजना की घोषणा

अखबार के मुताबिक, विदेश मंत्रालय में हुई मुलाकात के दौरान खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि नेपाल सरकार भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर सकारात्मक रुख रखती है, लेकिन सरकार अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेगी. भारत सरकार ने जून में अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाएगा. वहीं उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा.

गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन

इधर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल के गोरखा की सैनिकों के रूप में भर्ती करती रही है, और वह अग्निपथ भर्ती योजना के तहत प्रक्रिया जारी रखने के लिए आशान्वित है. भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं, और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल हैं. भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की 4 सितंबर से शुरू हो रही नेपाल की पांच दिन की यात्रा से पहले नेपाल का यह रुख सामने आया है. जनरल पांडे की यात्रा का मुख्य उद्देश्य नेपाल की सेना के मानद जनरल की उपाधि प्राप्त करना है, जो उन्हें राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी प्रदान करेंगी.

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