नये सपनों को नव उड़ान देने नव वर्ष आ गया है, नई ऊर्जा नये लक्ष्य के साथ हमें नवा गढबो छत्तीसगढ़ के संकल्प के लिए आगे बढ़ना है. ये कोई राजनीतिक नारा नहीं है बल्कि प्रदेश के लोगों को नव ऊर्जा के संचार का मंत्र है. किसी भी चीज को गढ़ने के लिए शिल्पियों की ज़रूरत होती है जो उसे रूप रंग पहचान देते है, तो प्रदेश को गढ़ने के लिए और नवा गढबो छत्तीसगढ़ के मंत्र को फलीत करने के लिए हमें आगे आना होगा. अपने प्रबल प्रचंड सामथ्र्य से प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना होगा, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक विकास की चमक को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना होगा.
छत्तीसगढ़ में आपार संभावनाओं के बाद भी क्या हम ये कह सकते है कि बीते वर्षों में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया का सर्वागीण विकास हुआ है. क्या हमारे छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को लेकर पूर्व में कितना संवेदनशील थे, इस पर भी हमें चिंतन करना होगा. ये बहुत प्रसन्नता का विषय है की ज़मीन से जुड़े हुए व्यक्ति खेत खलिहान की संस्कृति और पीड़ा को समझने वाले व्यक्ति छत्तीसगढ़ के मुखिया है. उनके आव्हान नवा गढ़बो छत्तीसगढ़ को सभी लोगों को आत्मसात करना चाहिए,सवाल ये है की नवा गढ़बो छत्तीसगढ़ का स्वरूप कैसा होगा, कुछ नीतिगत निर्णयों के साथ सामाजिक जागरण की दिशा में जब हमारे कदम बढ़ेंगे ,विभिन्न संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश के लोग स्वरोजगार से जुडेंगे उनके स्किल्स को पहचानते हुए उन्हें जब नई दिशा मिलेगी.
खेतों की पगडंडियों पर जब अल्हड़ किसान बिना किसी व्यथा के बिना किसी चिंता के अपने कार्यों को करते हुए लोकगीत की तान छेड़ेंगे ,मातर मंडई की वो गूंज के साथ, जब प्रदेश का आम जनमानस जो अपने भोले भाले स्वभाव के लिए पुरे देश में पहचाना जाता है उसके चहरे पर स्वाभाविक मुस्कान दिखने लग जाएगा तो हमारा छत्तीसगढ़ नई करवट लेगा, शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार प्रौद्योगिकी में प्रदेश को सशक्त बनाना होगा. हमारे प्रदेश से हो रहें पलायन को रोकना होगा जिससे ये अपनी ऊर्जा को छत्तीसगढ़ को गढ़ने में लगा सकें। तो आईये नव वर्ष के इस उत्सव को नवा गढबो छत्तीसगढ़ के विचार के साथ सार्थक बनाए.
नए रंग हों नई उमंगे आंखों में उल्लास नया..
नए गगन को छू लेने का मन में हो विश्वास नया..
नए वर्ष में चलो पुराने मौसम का हम बदले रंग…
नहीं बहारें लेकर आए जीवन में मधुमास नया.