नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से मंगलवार को पेश भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 के अपडेटेड वर्जन में आतंकवाद के कृत्यों से निपटने वाली धारा 113 में संशोधन किया गया है. इसमें ‘आतंकवादी कृत्य’ में देश की आर्थिक सुरक्षा और मौद्रिक स्थिरता पर हमले शामिल हैं. हालांकि, आम जनता को धमकाने या सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने को अब आतंकवादी कृत्य नहीं माना जाएगा.

संसद की स्थायी समिति की ओर से सुझाए गए संशोधनों को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र में सदन में पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को वापस लेने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने मंजूरी दी. इसके बाद उन्होंने नए विधेयकों को पेश किया.

शाह ने मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को सदन में ये विधेयक पेश किए थे. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेने के लिए लाया गया है. इन अधिनियमों को बाद में गृह मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था. नए सिरे से पेश किए गए विधेयकों में आतंकवाद की परिभाषा समेत कम से कम पांच बदलाव किए गए हैं.

उम्र कैद अथवा फांसी का प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 113(1) में प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ऐसी मंशा या हरकत करता है, जिससे देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता को नुकसान या खतरा पैदा होता है, या आतंकी घटना की मंशा रखता हो, आतंकी हमले करता हो, इसके लिए बम, हथियार, केमिकल, बॉयोलॉजिकल और जहर आदि का इस्तेमाल करता हो, जिससे जान-माल का नुकसान हो तो ऐसे मामले में दोषी शख्स को उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है.

सरकारी संपत्ति को नुकसान भी आतंकी हरकत

भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 113(5) में कहा गया है कि अगर कोई शख्स भारत की रक्षा परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो या अन्य तरह की सरकार की ऐसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो तो वह आतंकवाद यानी टेरर एक्ट माना जाएगा. इसी कानून की धारा 113(बी) में कहा गया- अगर कोई संवैधानिक पद पर बैठे या पब्लिक फंक्शनरी पर हमला करता है या अगवा करता है या ऐसी मंशा रखता है तो ऐसे मामले को भी टेरर एक्ट माना जाएगा. इससे मौत होने पर उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान है.

आतंकवाद में आर्थिक सुरक्षा भी शामिल

भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक में आतंकवाद की परिभाषा में अब अन्य परिवर्तनों के साथ-साथ ‘आर्थिक सुरक्षा’ शब्द भी शामिल है. इस बदलाव में कहा गया है, ‘जो कोई भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को धमकी देने या खतरे में डालने की नीयत के साथ या भारत या किसी दूसरे देश में लोगों में या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने की नीयत के साथ कोई कार्य करता है.’

कोर्ट तय करेंगे आतंकवाद पर जुर्माने की रकम

भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक में विभिन्न आतंकवादी कृत्यों के लिए प्रस्तावित 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने को हटा दिया गया है. अब जुर्माने की राशि अदालतें तय करेंगी. इतना ही नहीं, इससे उस प्रावधान को भी हटा दिया है जिसमें एक ऐसे आतंकवादी को पैरोल का लाभ देने से इनकार किया गया था जो किसी ऐसे अपराध में शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप किसी पीड़ित की मृत्यु हुई है और जिसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जा सकता है.