रायपुर. छत्तीसगढ़ एक नई शुरुआत करने जा रहा है. दूसरे राज्यों या ज़िलों में काम करने वाले मज़दूरों के लिए जो नीति बनाई जाएगी, उसमें मज़दूरों ज्यूरी के रुप में नीति की प्रमुख बातों को रखेंगे. देश में ये अब तक की ये सबसे अभिवन पहल है, जिसमें सरकार, बाज़ार और सिविल सोसाइटी के लोग नीतियों को लेकर अपना पक्ष रखेंगे और 20 मज़दूर उसे सुनेंगे. नीति निर्धारक, सरकार, समाज, उद्योग, व बाजार के प्रतिनिधियों की दलीलें सुनने के बाद अपने हित के लिए नीति निर्माण के लिए ज्यूरी सिफारिश करेगी.

ज्यूरी जो भी निर्णय लेगी उसे राज्य व केंद्र सरकार की नीति आयोग उसे अपने नीतियों में अहम इऩपुट होगा. इससे दीर्घकालिक व्यवहारिक कल्याणकारी नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी.

दरअसल, तीन गैर सरकारी संगठन अंबिकापुर के चौपाल, दिल्ली के नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया और बंगलुरु के सोक्रेट्स फाउंडेशन मिलकर रायपुर में 12 जुलाई से से चार दिन का एक अनोखा कार्यक्रम करने जा रहे हैं. “जनता का फैसला”.

लॉक डाउन के दौरान जिन मज़दूरों को इसका दंश झेलना पड़ा, उन सभी मज़दूरों से मंच के लिए संस्थाओं ने एक पारदर्शी एवं व्यापक सर्वे के आधार पर ज्यूरी के लिए मजदूर चयनित किए हैं. चार दिन तक इस कार्यक्रम में जिन बिंदुओं पर चर्चा होगी उसमें हैं –

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए उनके रहवास क्षेत्र या जहां वे काम करते हैं वहां लिए काम, सुरक्षा, राशन-पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की व्यवस्था की जा सकती है?

क्या उनके लिए सामाजिक सुरक्षा एवं आवासीय योजना का लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है?

क्या उनकी राजनीतिक भागीदारी एक पॉलिटिकल फोर्स के रूप में सुनिश्चित की जा सकती है?

इन बिंदुओं पर गहन चिंतन-मनन होगा. जिसमें नीति आयोग के अधिकारी, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी शामिल रहेंगे. ये मंच आगे चलकर दूसरे राज्यो में भी कार्यक्रम कराएगा. जिससे नीति आयोग को कानून बनाने में मदद मिलेगी.

इस कार्यक्रम में पंचायत और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और खाद्यमंत्री अमरजीत भगत शामिल रहेंगे. कार्यक्रम के इनपुट को इनके लिए बनने वाले तमाम नीतियों में शामिल किया जाएगा.

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान ये बात शिद्दत के साथ महसूस की गई कि नीति निर्माता व जनता जिसके लिए नीति बनाई जाती है वे दो अलग अलग लोग हैं. जिन्होंने ने नीतियां बनाई है वे इसके प्रभाव से अछूते रहते हैं. लेकिन जिनके लिए नीतियां बनाई गई है वे इससे प्रभावित होते रहते हैं. दोनों के मध्य एक दूरी है जिसे दूर करने के लिए ये मंच बनाया गया. देश में यह पहला प्रयोग होगा और छत्तीसगढ़ इसमें अग्रणी भूमिका निर्वाह कर रहा है.

कौन-कौन जुड़ा है इस कार्यक्रम से ?

नेशनल फाउंडेशन से विराज पटनायक जुडे हैं.  जिनकी छत्तीसगढ़ में मितानिन का कार्यक्रम बनाने में बड़ी भूमिका रही. जो देश भर में आशा के नाम से लागू हुआ. चौपाल से छत्तीसगढ़ में एफआएए में सामुदायिक पट्टा वितरण और पीडीएस के पीडीएस को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाने वाले गंगाराम पैकरा हैं. इसके अलावा सॉक्रेटर फॉउंडेशन से अनंत पद्मनाभन हैं. जो ग्रीन पीस और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से जुड़े रहे.