शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ चल रही लोकायुक्त, EOW, पुलिस की जांच के दौरान उनके अभ्यावेदन पर समानांतर जांच या सुनवाई नहीं हो सकेगी। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने विभागीय जांच और अभियोजन से संबंधित मामलों को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा है कि अभ्यावेदन पर सुनवाई सिर्फ तभी हो सकेगी जब शिकायत निजी तौर पर हुई हो।
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सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा कि अभियोजन की स्वीकृति तभी मिलेगी जब कर्मचारियों को एक बार सुनने का मौका दिया जाएगा। उसकी बात सुने बगैर आयोजन की स्वीकृति नहीं दी जा सकेगी। ऐसे मामलों में 3 महीने के भीतर निराकरण करना होगा। केस डायरी स्टडी करने के बाद ही अभियोजन की स्वीकृति मिलेगी। इसके तहत विभाग के बजाय संबंधित विभाग के अधिकारी के पास अभियोजन की स्वीकृति के लिए डायरी भेजी जाएगी।
इसलिए लिया गया फैसला
दरअसल, शासन के संज्ञान में आया है कि अभियोजन स्वीकृति के जारी आदेशों में तकनीकी और लिपिकीय गलतियां होती है। इस कारण अभियोजन स्वीकृति आदेश में जांच एजेंसियां संशोधन कराती है। जिससे केस कोर्ट में पेश करने में अनावश्यक विलंब होता है। अब खास ध्यान रखना होगा कि अफसर के हस्ताक्षर, सील और हर स्थान पर अपराध क्रमांक और धारा का जिक्र हो। कभी-कभी रिश्वत की राशि, रिश्वत लेने की तारीख, प्रार्थी का नाम नहीं लिखा होता है, इसे भी अधिकारी ध्यान में रखेंगे।अभियोजन स्वीकृति आदेश के रूप में होनी चाहिए।
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