New Labour Codes: मोदी सरकार (Modi government) ने शुक्रवार (21 नवंबर) को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देश के सभी मजदूरों और कर्मचारियों के लिए चार नए श्रम कानून लागू कर दिए। पहले जो 29 अलग-अलग श्रम कानून थे। उन्हें खत्म कर अब 4 आसान नियमों में बदल दिया गया है। सरकार का कहना है कि नए लेबर कोड आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है। नई व्यवस्था का मक­सद एक सुदृढ़ ढांचा तैयार करना है, जो न सिर्फ श्रमिकों की सुरक्षा बढ़ाए, बल्कि उद्योगों के लिए भी बेहतर माहौल बनाए।

ये चार श्रम संहिताएं- वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 हैं। सुधारों में महिलाओं के लिए विस्तारित अधिकार और सुरक्षा शामिल हैं। इनमें रात की पाली में काम, 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच, खतरनाक प्रक्रिया इकाइयों सहित पूरे भारत में ईएसआईसी कवरेज और एकल पंजीकरण, लाइसेंस प्रणाली शामिल हैं।

पीएम मोदी ने क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि ये संहिताएं हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और लाभकारी अवसरों की मजबूत नींव का काम करेंगी। उन्होंने कहा कि यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाला और भारत की आर्थिक वृद्धि को मजबूत करने वाला भविष्य के लिए तैयार परिवेश बनाएगा। ये सुधार रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे, उत्पादकता को गति देंगे और विकसित भारत की हमारी यात्रा को तेज करेंगे।

दरअसल, यह बदलाव देश की रोजगार और औद्योगिक व्यवस्था को नई परिभाषा देने वाला साबित हो सकता है। इससे देश के 40 करोड़ कामगारों को सोशल सिक्योरिटी कवरेज मिलेगा, यानी देश की आधी से ज्यादा वर्कफोर्स को पहली बार सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। आइए जानते हैं, देश में लागू 4 नए लेबर कोड के बारे में… क्या कुछ बदलने वाला हैः-

1. पुराने 29 श्रम कानून खत्म
फिलहाल देश में जो श्रम कानून लागू हैं, वो बहुत पुराने यानी करीब 1930-1950 के बीच का है। पुराने श्रम कानून इकोनॉमी फ्रेंडली नहीं थे, गिग-वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्क, प्रवासी श्रमिक जैसे टर्म शामिल नहीं थे, लेकिन अब नए कानून में इन कामगारों के हितों का ध्यान रखा गया है।

2. समय पर सैलरी और नियुक्ति पत्र जरूरी
नए लेबर कोड के अंतर्गत नियुक्ति पत्र अनिवार्य होंगे, यानी हर कामगार को नियुक्ति पत्र देना होगा. न्यूनतम वेतन का दायरा सभी श्रमिकों तक बढ़ेगा.समय पर वेतन देना कानूनन होगा। सरकार का तर्क है कि इससे रोजगार और शर्तों की पारदर्शिता बढ़ेगी। देशभर में न्यूनतम वेतन लागू होगा, ताकि कोई भी सेलरी इतना कम न हो कि जीवन यापन मुश्किल हो।

3. कर्मचारियों की सेहत की जांच 
कर्मचारियों की सेहत को लेकर इस कानून में खास ख्याल रखा गया है। 40 वर्ष से ऊपर वाले श्रमिकों को निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य-जांच मिलेगी। यानी साल में एक बार फ्री हेल्थ चेक-अप की सुविधा मिलेगी। ठेका कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य लाभ और सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाएगा। जोखिम-भरे क्षेत्रों के कामगारों को 100% हेल्थ सिक्युरिटी की गारंटी मिलेगी, खासकर खनन, केमिकल, कंस्ट्रक्शन जैसे हाई-रिस्क जॉब वालों को पूर्ण सुरक्षा।

4. महज 1 साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी
अभी तक देश में 5 साल तक नौकरी के बाद गेच्युटी मिलती है, लेकिन अब नए कानून में केवल एक साल की पक्की नौकरी के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलेगी। प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वालों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है।

5. कामकाजी महिलाओं के लिए खास नियम 
नए कानून के तहत अब महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम की अनुमति होगी। हालांकि इसमें महिला की सहमति और वर्किंग प्लेस में सुरक्षा का उपाय होना चाहिए। इसके अलावा महिलाओं को समान वेतन और सम्मान की गारंटी में इस कानून में है. ट्रांसजेंडर को भी काम में बराबरी का हक मिलेगा।

6. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की पहली बार कानूनी पहचान
नए लेबर कोड में गिग और प्लेटफॉर्म वर्क को परिभाषित किया गया है। गिग वर्कर्स और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी पहचान मिलेगी। उन्हें PF, बीमा, पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल सकेंगे। अब एग्रीगेटर्स को उनके टर्नओवर के 1-2% देना होगा, जो कि मैक्सिमम 5% तक होगा. लाभार्थी कीड का यूनिवर्सल खाता नम्बर (UAN) लिंक किया जाएगा, जिससे दूसरे राज्य के कर्मचारियों को भी पोर्टेबिलिटी के तहत जोड़ा जाएगा।

7. ओवरटाइम पर दुगने वेतन की गारंटी
नए लेबर कोड में ओवरटाइम को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है, कर्मचारियों की शिकायत रहती थी कि कंपनी सही से ओवरटाइम का भुगतान नहीं करती है, लेकिन नए लेबर कानून में ओवरटाइम कराने पर दुगने वेतन की गारंटी दी गई है।  
  
8. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए खुशखबरी
अब कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स भी स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा पाएंगे। पहली नौकरी, यानी युवाओं को न्यूनतम वेतन की गारंटी मिलेगी. प्रवासी और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक सामाजिक-सुरक्षा नेटवर्क में आ सकेंगे।

9. कानूनी अनुपालन  अब और आसान 
अब कई रजिस्ट्रेशन और रिपोर्टिंग की जगह सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न मॉडल होगा, जिससे कंपनियों का कम्प्लायंस बोझ घटेगा। वर्षों पुराने कानून, जो कि काफी जटिल और बिखरे हुए थे, वो खत्म हो जाएंगे। मुख्यतौर पर 29 बिखरे कानूनों को समेटकर चार लेबर कोड बनाए गए हैं. इसका लक्ष्य उद्योगों को लाल-फीताशाही से मुक्ति दिलाना है।

10. कंपनी और कर्मचारी के बीच विवाद पर नया नियम
नई व्यवस्था में ‘इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर’ होंगे, जो ज्यादातर गाइडेंस देंगे न कि दंडात्मक कार्रवाई। साथ ही उद्योग विवादों के लिए दो-सदस्य ट्राइब्यूनल होंगे, जहां कर्मचारी सीधे जा सकते हैं. सरकार का दावा है कि इन कोडों से कामगारों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा और सम्मान मिलेगा, जबकि उद्योगों को कम जटिलता और बेहतर पूंजी निवेश का अवसर मिलेगा।

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