इंदौर। शहर के मेडिकल कॅालेज हॅास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डॉक्टरों की टीम ने 12 घंटे की सर्जरी के बाद मेनिनजियोमा ट्यूमर के मरीज का सफल ऑपरेशन किया। मेनिनजियोमा ट्यूमर (फोरामेन मैग्नम मेनिनजियोमा) एक से तीन प्रतिशत मरीज ही दुनिया में इस बीमारी से ग्रस्त होते है। हॉस्पिटल में सिमरोल की रहने वाली 36 वर्षीय मरीज को मेनिनजियोमा ट्यूमर होने पर भर्ती किया गया था। इस बीमारी के कारण कई महीनों से वह आम जिंदगी नहीं जी पा रही थी। 12 घंटे के इस ऑपरेशन में न्यूरो सर्जन डाॅ. क्षितिज अपूर्व निगम और एनेस्थीसिया विभाग की टीम शामिल थी। डाॅ. निगम ने बताया कि आमतौर पर दिमाग और रीढ़ की हड्डी के इस सेंटर में बड़ा ट्यूमर होने के कारण महिला को काफी परेशानी हो रही थी। माइक्रोस्कोप से 12 घंटे तक चले इस ऑपरेशन के बाद डॅाक्टरों ने 4 सेमी बाय 3 सेमी बाय 3 सेमी के ट्यूमर को शऱीर से निकाला। इस जटिल सर्जरी के दौरान लकवाग्रस्त होने के साथ कई गंभीर खतरे रहते है। इसमें गले की मांसपेशियां, मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नसों के साथ सांस न लेने जैसे कई समस्या भी हो सकती थी।आपरेशन के बाद मरीज को डॉक्टरों की टीम ने अपनी निगरानी में रखा हुआ है।
दुनिया में केवल तीन प्रतिशत मरीज
न्यूरो सर्जन डॅा. निगम ने बताया कि मेनिनजियोमा एक ट्यूमर है, जो मेनिनजेस में होता है। मेनिनजेस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर बनी झिल्ली या परत होती है। इसकी वजह से मस्तिष्क की नसों पर दबाव पड़ता है। यह ट्यूमर अधिकतर धीमी गति से विकसित होता है, कई मामलों में वर्षों तक इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। दुनिया में इस बीमारी से केवल तीन प्रतिशत मरीज ही ग्रस्त होते है। दुर्लभ बीमारी के कारण इसकी सर्जरी जटिल होने के साथ गंभीर भी होती है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं इसमें इसके प्रभाव के कारण रोगी को विकलांगता भी हो सकती है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, हाथ पैरों में कमजोरी आना, शरीर सुन होना व बोलने में मुश्किल होना शामिल है।
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