रायपुर. छत्तीसगढ़ में मस्तूरी में जेके ट्रस्ट का डेयरी रिसर्च सेंटर है. यहां काम करने वाले मुलाज़िम बताते हैं कि कई साल पहले यहां एक गाय आई थी. जिसने 50 लीटर से ज़्यादा दूध दिया था. शायद ये एक राष्ट्रीय रिकार्ड है. प्रदेश में जिन गायों के साथ एविस ने डेयरी शुरु की थी. उनकी दूध उत्पादन क्षमता 20 लीटर तक थी. बाद में उनकी क्षमता बढ़कर 30 लीटर या इससे ज़्यादा भी हुई.
पर मोटे तौर पर प्रदेश में ज्यादातर डेयरी में दूध उत्पादन 15 से 20 लीटर ही है. 20 लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन बेदह उम्दा माना जाता है और ऐसी गायों की चर्चा पूरे गांव में होती है. लेकिन पंजाब में डेयरी उत्पादक उन सभी गायों को हटा रहे हैं जिनकी दूध उत्पादन क्षमता 25 लीटर या इससे कम है. बेहतर चारा प्रबंधन और इंपोर्टेड सीमेन के साथ पंजाब के डेयरी उत्पादक उन्हीं गायों को फायदे का सौदा मानते हैं जिनका दूध 35 लीटर से ज़्यादा हो.
पिछले साल तक भारत में किसी गाय द्वारा सर्वाधिक दूध देने का रिकार्ड 67 लीटर था लेकिन इस साल उसका रिकार्ड टूट गया. 15 से 17 जनवरी को पंजाब के जगरांवा में हुए पशु मेले में एक गाय ने दूध निकालने की प्रतियोगिता में करीब 70 लीटर 300 ग्राम दूध देकर नया रिकार्ड बनाया. ये भारत में अब तक का सबसे ज़्यादा दूध देने का रिकार्ड है. हालांकि इस गाय के मालिक हरप्रीत सिंह का कहना है कि ये गाय वैसे 80 लीटर दूध देती है लेकिन मोगा से यहां लाने में जो स्ट्रेस हुआ, उसके चलते इसने कम दूध दिया.
हरप्रीत का कहना है कि 800 किलो वजनी एचएफ कटेगरी में इस गाय की का ये तीसरा ब्यात था. इस गाय को उन्होंने अमेरिका के वर्ल्ड वाइ़ड शायर के इंपोर्टेंड बुल टर्मिनेटर का है. इसी मेले में इससे पहले हरप्रीत की गाय रुबी ने 67 लीटर का रिकार्ड बनाया था. जिसे इस नई गाय ने तोड़ा है.
इस प्रदर्शनी में दूसरा स्थान हासिल करने वाले एचएफ गाय उन्हीं की डेयरी की है. ये अमेरिका की मशहूर कंपनी एबीएस गोल्डन ब्वाय की बछिया है. जिसका मेले में 63 किलो दूध 24 घंटे में रिकार्ड किया गया.
पंजाब में 2005 के बाद इंपोर्टेंड बुल के सीमन का प्रचलन तेज़ी से बढ़ा है. जिसके बाद वहां उत्पादन काफी तेज़ी से बढ़ा है. भारत के अन्य राज्यों में एक गाय 25 से् 35 लीटर दूध दें तो उसे काफी अच्छा माना जाता है. लेकिन पंजाब में डेयरी उत्पादक ऐसी गाय को रखना पसंद करते हैं जो पहली बार में ही 35 लीटर से ज़्यादा दूध उत्पादित करे.
हरप्रीत जैसे कुछ डेयरी पालक अपनी डेयरी में 50 लीटर से ज़्यादा दूध देने वाली गाय रख रहे हैं. इन गायों की दक्षिण भारत में काफी डिमांड रहती है. ये गाय वे 2.5 लाख से 4 लाख तक में ले जाते हैं. हरप्रीत ने इंपोर्टेड सीमेन से करीब दस पीढ़ियां तैयार कर ली हैं. वे रोज़ाना 50 गायों से 1500-2000 लीटर दूध उत्पादन करते हैं.
हरप्रीत जैसे एक और डेयरी ब्रीडर और उत्पादक सुखप्रीत हैं. मोगा के रहने वाले सुखप्रीत अपनी गायों को दूध उत्पादन कीप्रतियोगिता में नहीं ले जाते हैं. लेकिन उनके पास भी दर्जनों गाय हैं जिनका दूध उत्पादन रोज़ाना साठ लीटर से ज़्यादा है. उनके पास एक गाय करीब 900 किलो वजनी है.
गायों में दूध उत्पादन में ये क्रांतिकारी बदलाव सरकार की वजह से नहीं बल्कि किसानों के संगठन पीडीएफए की वजह से आया. जिसने 2000 के बाद अमेरिका से इंपोर्टेड सीमेन मंगाकर नस्ल सुधार का काम किया. वहां के डेयरी उत्पादक अब इंपोर्टेड सीमेन का इस्तेमाल ही करते हैं. इसके अलावा दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव खानपान में आया. यहां साइलेज का उत्पादन करके किसानों ने साल पर हरे चारे का न सिर्फ प्रबंध किया. बल्कि कांसट्रेट की मात्रा कम करके दूध की उत्पादन की लागत कम करके डेयरी को लाखों की कमाई का ज़रिया बना लिया.