फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से सामने आए व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के तहत डॉ. मुज्जमिल के गिरफ्तार होते ही सबूत मिटाने की कार्रवाई अन्य संदिग्ध आतंकियों ने शुरू कर दी थी। एनआईए ने यूनिवर्सिटी परिसर में डॉ. उमर के कमरे में तोड़े गए एक टैबलेट के पार्ट्स बरामद किए हैं। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो डॉ. मुज्जमिल के गिरफ्तार होने के बाद डॉ. उमर और बिलाल ने ये टैब तोड़ा था। इस टैब में बिलाल जसीर वानी ने मोडिफाई ड्रोन व रॉकेट बनाने के स्कैच रखे हुए थे। इसके अलावा भी आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी कई अहम जानकारियां इस टैब में भी, जिसके चलते इसे आरोपियों ने तोड़ा था।

एनआईए टीम ने ये कार्रवाई 23 दिसंबर की शाम को उस वक्त की जब टीम दिल्ली बम धमाके मामले में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को लेकर अल-फलाह यूनिवर्सिटी आई थी। टीम ने लगभग दो घंटे तक यूनिवर्सिटी परिसर के अलग-अलग एरिया में ले जाकर आरोपी से निशानदेही कराई। इसी दौरान दिल्ली धमाके में मर चुके डॉ. उमर के कमरे से टूटे हुए टैब के पार्ट्स बरामद किए गए।

आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश अल फलाह यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक्स में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पद पर कार्यरत था। एनआईए की जांच में खुलासा हुआ कि जसीर ने ही डॉ. उमर को टेक्निकल सपोर्ट आतंकी हमलों के लिए मुहैया कराया। दिल्ली धमाके से पहले जसीर ने मोडिफाई ड्रोन और रॉकेट बनाने का प्रयास भी किया।

2019 में ही चढ़ गया था जिहाद का बुखार

सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल में शामिल डॉक्टरों के दिमाग में जिहाद का जहर भरने का काम 2019 से ही चल रहा था। सीमा पार से सक्रिय आतंक के आकाओं का यह नेटवर्क उन्हें सोशल मीडिया मंच के जरिये कट्टरपंथ का पाठ पढ़ा रहा था। जांचकर्ताओं ने बताया कि पाकिस्तान और दुनिया के अन्य हिस्सों में बैठे आतंकी आका उच्च शिक्षित पेशेवरों को डिजिटल माध्यमों का सहारा लेकर आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील राथर, डॉ. मुजफ्फर राथर और डॉ. उमर नबी से शुरू में सीमा पार के आकाओं ने फेसबुक और एक्स जैसे मंचों पर संपर्क साधा था। बाद में इन्हें टेलीग्राम पर निजी ग्रुप में जोड़ा और यहीं से उन्हें बरगलाना शुरू किया गया। इस मॉड्यूल के मुख्य हैंडलर उकासा, फैजान और हाशमी हैं। ये तीनों विदश से गतिविधियां चला रहे थे।

सीरिया जाना चाहते थे डॉक्टर

जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉक्टरों ने शुरू में सीरिया या अफगानिस्तान जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में आतंकी समूहों में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में उनके आकाओं ने उन्हें भारत में ही रहने और भीतरी इलाकों में विस्फोट करने के लिए कहा गया था।

एआई से बने वीडियो दिखाकर बरगलाते हैं हैंडलर

वर्ष 2018 के बाद से आतंकी समूहों ने रणनीतिक स्तर पर बदलाव किया। ये समूह डिजिटल मंचों के जरिये लोगों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, भर्ती के इच्छुक लोगों को टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप पर निजी ग्रुप में जोड़ा जाता है। फिर उन्हें एआई से बनी वीडियो सामग्री दिखाकर बरगलाया जाता है।

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