रायपुर। बलौदाबाजार वनमंडल में फर्जी बिलिंग कर लाखों रुपए की हेराफेरी करने के मामले में डीएफओ एसडी बड़गैया समेत वन विभाग के 5 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के मामले में नया मोड़ आ गया है. दरअसल जिस शिकायतकर्ता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है, उसने एफिडेविट देकर कहा है कि उसने गलत जानकारी दी थी.

शिकायतकर्ता का नाम नारायण सिंह चौहान है, जो भाटापारा का रहने वाला है. उसने शपथपत्र में कहा है कि उसने सूचना के अधिकार के तहत 5 अप्रैल 2016 को एक आवेदन दिया था और 13,188 पेज प्रमाणक की फोटोकॉपी प्राप्त की थी. साथ ही उसने तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा खरीदी गई सामग्री की स्वीकृति आदेश की कॉपी भी मांगी थी.

शिकायतकर्ता नारायण सिंह ने शपथपत्र में साफ लिखा है कि उसने प्रमाणकों को देखा और क्षेत्रीय कार्यों का निरीक्षण किया और इस दौरान उसे किसी भी तरह की अनियमितता नहीं दिखाई दी. उन्होंने एफिडेविट दिया है कि प्रमाणकों के संबंध में उन्हें कोई शिकायत नहीं है और न तो कोई लेना-देना है.

जांच में सबकुछ हो जाएगा क्लीयर- डीएफओ बड़गैया

वहीं इस मामले में डीएफओ एसडी बड़गैया ने कहा है कि जांच में सबकुछ खुद शीशे की तरह साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने खुद शपथपत्र देकर इस बात को माना है कि उसने गलत जानकारी दी थी.

गौरतलब है कि बलौदाबाजार वनमंडल में फर्जी बिलिंग कर लाखों रुपए की हेराफेरी करने के मामले में पलारी पुलिस ने वन विभाग के पांच अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इसके तहत तत्कालीन डीएफओ एस एस डी बड़गैया, सहायक वनमंडलाधिकारी एस डी द्विवेदी, वनपरिक्षेञ अधिकारी बलौदाबाजार के डी घृतेश, वर्त्तमान डिप्टी रेंजर रतन डढ़सेना और वनक्षेत्रपाल सतीश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 474 और  34/2 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है.

पहले मिली थी ये जानकारी, ऐसे हुआ मामला दर्ज

दरअसल पहले ये जानकारी मिली थी कि भाटापारा विकासखंड के बोरतरा गांव निवासी नारायण चौहान ने आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की थी कि लकड़ी ढ़ुलाई के एक मामले में फर्जी बिल लगाकर 30 लाख रुपये से अधिक की राशि आहरित कर ली गई थी. इस मामले में सभी आला अधिकारियों की मिलीभगत साफ तौर पर नजर आ रही थी, लेकिन इस बारे में शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही थी. ऐसी स्थिति में नारायण चौहान ने सीजेएम की अदालत में परिवाद दायर कर न्याय की गुहार लगाई. अदालत ने प्रथमदृष्टया 30 लाख रुपये के गबन की बात को दस्तावेजों के आधार पर सही पाया और इसके बाद पलारी पुलिस को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए. सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद पलारी पुलिस ने पांच अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया.

लेकिन अब चूंकि शिकायतकर्ता ने खुद शपथपत्र दाखिल कर स्वयं के द्वारा गलत जानकारी देने की बात कही है, तो ऐसे में कोई मामला ही बनता नज़र नहीं आ रहा.

ईधर शिकायतकर्ता के पुत्र विक्रम सिंह चौहान का कहना है कि उनके पिता नारायण सिंह चौहान ने ऐसा कोई भी शपथपत्र नहीं दिया है और न ही शपथपत्र में किया गया हस्ताक्षर उनका है.ऐसे में साफ है कि वन विभाग के अधिकारी अपने आपको बचाने के लिये इस तरह का षडयंत्र कर रहें हैं.