दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक बार फिर चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी का मामला सुर्खियों में रहा। इस बार मामला उनकी जमानत याचिका का था। हालांकि, सुनवाई शुरू होने से पहले ही एडिशनल सेशन जज अतुल अहलावत ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। अब यह मामला डिस्ट्रिक्ट जज के सामने सुना जाएगा।

जमानत याचिका में क्यों आया ट्विस्ट?

चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए आज पटियाला हाउस कोर्ट में माहौल गर्म था। उनके वकील, सीनियर एडवोकेट अजय बर्मन, जमानत की पैरवी करने को तैयार थे। हालांकि, जज अतुल अहलावत ने सुनवाई शुरू होने से पहले ही खुद को इस मामले से अलग कर लिया। यह पहली बार नहीं है जब जज अहलावत ने ऐसा किया है। इससे पहले भी वह चैतन्यानंद की एक वित्तीय अनियमितता से जुड़े अग्रिम जमानत की याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं।

सन्यासी वस्त्र और किताबों की मांग

चैतन्यानंद सरस्वती ने कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें उन्होंने सन्यासी वस्त्र और आध्यात्मिक किताबें मांगी हैं। बुधवार को इस पर सुनवाई के दौरान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) अनिमेष कुमार ने दिल्ली पुलिस को जेल मैनुअल के नियमों के आधार पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा। जज ने कहा कि प्रथम दृष्टया जेल मैनुअल में कपड़ों और किताबों पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया, “जब कोई रोक नहीं है, तो मैं इन्हें कैसे मना कर सकता हूं?” इस अर्जी पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

जब्ती मेमो और अतिरिक्त बिस्तर की मांग

चैतन्यानंद सरस्वती के वकील मनीष गांधी ने कोर्ट में जब्ती मेमो की कॉपी मांगी, जिस पर पुलिस को शुक्रवार तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। साथ ही, वकील ने यह भी मांग की कि चैतन्यानंद को उनकी उम्र (65 साल से अधिक) और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध कराया जाए। मनीष गांधी ने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए कहा कि विचाराधीन कैदियों को अपनी पसंद के कपड़े पहनने की इजाजत है।

क्या है पूरा मामला?

चैतन्यानंद सरस्वती, जिन्हें पार्थसारथी के नाम से भी जाना जाता है, इस वक्त ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। उन पर दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के एक शैक्षिक संस्थान में 17 लड़कियों के साथ छेड़छाड़ का गंभीर आरोप है। दिल्ली पुलिस ने उन्हें 27 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार किया। कोर्ट पेशी और रिमांड: 28 सितंबर को कोर्ट में पेश कर उन्हें 5 दिन की रिमांड मिली। ज्यूडिशियल कस्टडी: 3 अक्टूबर को कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा, जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी।

पहले भी खारिज हो चुकी है जमानत

यह पहली बार नहीं है जब चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका चर्चा में आई है। इससे पहले एक वित्तीय अनियमितता के मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब इस नए मामले में भी उनकी जमानत की राह आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि उन पर दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में 17 लड़कियों के साथ छेड़छाड़ का गंभीर आरोप है।

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