Rahul Gandhi Life Threat Controversy: राहुल गांधी की जान को खतरा बताने के मामले में नया ट्विस्ट आ गया है। कांग्रेस सांसद की जान को खतरा बताने वाले उनके वकील ने अब कोर्ट से याचका वापस ले ली है। दरअसल राहुल गांधी ने वकील मिलिंद डी. पवार ने उनकी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा के लिए पुणे की एक अदालत में याचिका दायर की थी।

राहुल गांधी के वकील ने कहा कि यह स्पष्ट, तार्किक और ठोस आशंका है कि मुझे (राहुल) नुकसान पहुंचाया जा सकता है, झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है. शिकायतकर्ता के परिवार का हिंसा से जुड़ा इतिहास है। इतिहास को खुद को दोहराने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। यह बयान उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के संदर्भ में दिया था।

रायबरेली सांसद ने वकील मिलिंद डी. पवार ने याचिका में कहा था कि राहुल गांधी के हाल ही में जिन राजनीतिक मुद्दों को उठाया है और पहले सावरकर पर जो टिप्पणियां की थीं, उनकी वजह से उनकी सुरक्षा को खतरा बढ़ गया है। इस केस के शिकायतकर्ता, नाथूराम गोडसे के सीधे वंशज हैं। इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी नेताओं रवीनीत सिंह बिट्टू और तरविंदर सिंह मारवाह से मिली कथित धमकियों का भी उल्लेख किया था।

अब मामले में कांग्रेस की मीडिया सेल प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत ने स्पष्ट किया कि यह लिखित बयान (पर्सिस) राहुल गांधी के वकील ने बिना उनसे बात किए या उनकी सहमति लिए अदालत में दाखिल किया था। उन्होंने कहा, “इस बात से राहुल जी की घोर असहमति है। वकील इस पर्सिस को अगले दिन कोर्ट से वापस लेंगे।

वकील ने लिखित बयान जारी किया

राहुल गांधी के वकील एडवोकेट मिलिंद डी. पवार ने प्रेस रिलीज़ जारी कर स्वीकार किया कि 13 अगस्त 2025 को दाखिल पर्सिस उनके द्वारा बिना क्लाइंट के निर्देश और बिना परामर्श के तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने इसकी सामग्री पर असहमति जताई है और इसे वापस लेने का निर्देश दिया है। पवार ने घोषणा की कि वे अदालत में औपचारिक आवेदन देकर पर्सिस वापस लेंगे।

यह कदम पूरी तरह अप्रासंगिक: सत्यकी सावरकर

वहीं सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने कहा कि यह आवेदन काफी समय पहले दायर किया गया था, लेकिन जानबूझकर उनकी (राहुल) ओर से मामले में देरी की जा रही है। राहुल गांधी का यह कदम पूरी तरह अप्रासंगिक है. अदालत पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मामले की सुनवाई के लिए राहुल गांधी की व्यक्तिगत मौजूदगी जरूरी नहीं है, इसके बावजूद वह कार्यवाही में देरी कर रहे हैं। उनका यह आवेदन मामले से किसी भी तरह जुड़ा नहीं है और इसका कोई औचित्य नहीं है।

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