रायपुर. वृंदावन हाल में आचार्य सरयू कांत झा स्मृति संस्थान विश्व सरयू अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच तथा साधना फाउंडेशन के तत्वावधान में नवोदित रचनाकारों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला किया गया. कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत राज्यगीत अरपा पैरी के धार शुभ्रा ठाकुर,दीपक व्यास व प्रज्ञा त्रिवेदी के गायन से हुई. मुंबई से आयी सुप्रसिद्ध लेखिका चित्रा देसाई ने रचनाकर्म में शब्दों को हिंसक होने से बचाये क्योंकि तलवार से भी ज्यादा गहरे घाव हिंसक शब्द करते हैं. दिल्ली राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संपादक डॉ लालित्य ललित ने कार्यशाला में आये रचनाकारो के प्रश्नों का जवाब देते हुए अपने अनुभव साझा किये.

कवि समीर दीवान ने ईमानदारी से लेखन पर जोर देते हुए कहा कि लेखन में विश्वसनीयता सबसे जरूरी है.  डॉ निरुपमा शर्मा ने साहित्य में मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति को प्राथमिकता दें, क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण होता है. आकाशवाणी के वरिष्ठ उदघोषक के. परेश ने प्रश्न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सच्चाई, प्रमाणिकता, समयबद्धता विश्वसनीयता और जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए लेखन किया जाना चाहिए.

आचार्य रमेंद्र नाथ मिश्रा ने कहा कि जीवन में साहित्य है और साहित्य ने जीवन है. डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि साहित्य में सीखना निरंतर चलता रहता है, उन्होंने व्यंग्य विधा पर अपने विचार शब्द के उच्चारण के आधार पर भिन्न-भिन्न बताते हुए रखे.

शाम 5 बजे कार्यशाला का समापन हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने पत्रकारिता की चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकार को निष्पक्ष होकर अपनी निर्भीकता बनाये रखनी चाहिये.

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को रमेश नैय्यर, कवि संजीव ठाकुर एवम आचार्य रमेन्द्र नाथ मिश्र ने प्रमाणपत्र वितरण किया. आचार्य सरयू कांत झा स्मृति संस्थान के शारदेन्दु झा ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया. आज दिनभर चली इस कार्यशाला का संचालन साधना फॉउंडेशन की सचिव शुभ्रा ठाकुर ने किया.