देश के 40 पत्रकारों की एक सॉफ्टवेयर से जासूसी के मामले में जी न्यूज ने अपने एक शो डीएनए एनालिसिस में विस्तृत रिपोर्ट दिखाई है. इस रिपोर्ट में पत्रकार सुधीर चौधरी ने छत्तीसगढ़ सरकार का भी जिक्र किया है. जिसमें वे ये कहते है कि यदि किसी पीड़ित को लगता है कि उन्हें तक केंद्र सरकार के अधीन पुलिस के बजाएं विभिन्न राज्य जैसे छत्तीसगढ़ में भी एफआईआर करा सकते है जहां बीजेपी की नहीं कांग्रेस की सरकार है.

जी न्यूज की रिपोर्ट कहती है कि वे अपनी रिपोर्ट में एक ऐसे जासूसी कांड के बारे में बताएंगे जिससे हमारे देश का एक खास वर्ग बहुत चिंतित है और जिन्हे लगता है कि राइट टू प्राइवेसी खतरे में आ गई है. आरोप है कि इजरायल के एक जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद से भारत के कई महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी की गई. इनमें विपक्ष के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के अलावा 40 पत्रकारों के भी नाम शामिल हैं और इस जासूसी कांड को लेकर सबसे ज्यादा शोर विपक्ष के नेता और ये पत्रकार ही मचा रहे हैं.

पेगासस से जासूसी का पूरा मामला

आरोप है कि इजरायल की एक कंपनी एनसओ ग्रुप के बनाए जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद से भारत के कई महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी कराई गई. इस सॉफ्टवेयर की मदद से पहले इन लोगों के मोबाइल फोन हैक किए गए और फिर इन लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी गई. कथित तौर पर जिन लोगों की जासूसी की गई उनमें 40 पत्रकारों, विपक्ष के कुछ नेताओं, केंद्र सरकार के दो मंत्रियों, कानूनी पदों पर बैठे लोगों और कई उद्योगपतियों के नाम हैं.

इनमें से कुछ नाम हैं- राहुल गांधी, भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैश्नव, राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी संजय काचरू और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर. इसके अलावा इस लिस्ट में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव का भी नाम है.

यहां आपके लिए समझने की बात ये है कि इस खबर के केंद्र में जो लिस्ट है, उसमें 45 देशों के 50 हजार फोन नंबर्स हैं और किसी को नहीं पता कि किसने, किसकी जासूसी कराई, लेकिन भारत में विपक्ष के नेताओं और पत्रकारों ने अपने आप ही ये अंदाजा लगा लिया कि ये जासूसी नरेंद्र मोदी की सरकार ने करवाई है, जबकि पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप इससे इनकार कर चुकी है. उसका कहना है ये लिस्ट फेक है और इंटरनेट पर बहुत पहले से उपलब्ध है.

10 लोगों की जासूसी पर 9 करोड़ का खर्च

पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए 10 लोगों की जासूसी करने पर करीब 9 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यानी अगर भारत के 40 पत्रकारों की जासूसी वाली बात सही है तो इन पर 36 करोड़ रुपये खर्च हुए होंगे. ये सभी पत्रकार आज की तारीख में या तो बेरोजगार और निष्क्रिय हैं या फिर इनका प्रभाव न के बराबर है और इनकी विश्नसनीयता भी लगभग शून्य है. अब आप सोचिए इन पर 40-50 करोड़ रुपये कौन खर्च करेगा?