शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश के बिजली कर्मचारी संगठन (यूनाइटेड फोरम फॉर पावर इंप्लाइज एवं इंजीनियर्स) ने अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. मांगें पूरी नहीं होने पर कार्य बहिष्कार की संगठन ने चेतावनी दी है. कई बार हड़ताल के बावजूद भी समस्या का हल नहीं हुआ है. बिजली संगठन का कहना है कि मांग पूरी नहीं हुई तो बिजली कर्मचारी किसी भी वक्त कार्य का बहिष्कार कर सकते हैं.
बिजली संगठन का कहना है कि मांगों को लेकर प्रदेश सरकार सिर्फ लंबे समय से आश्वासन दे रही है. मांग पूरी नहीं होने के कारण एक लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारी परेशान है. पुरानी पेंशन बहाली, आउटसोर्स के निकाले गए कर्मचारियों को वापस लिया जाए, रिक्त पदों को 3 महीने के अंदर भरा जाए, वेतन विसंगति दूर करने और संविदा बिजली कर्मचारियों को नियमित करने समेत तमाम मांगें हैं.
ये हैं 10 सूत्रीय मांगें
1. बिजली विभाग का निजीकरण बंद किया जाए, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति बंद की जाए.
2. जन संकल्प 2013 के अनुसार बिजली संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए.
3. पुरानी पेंशन स्कीम (ops) लागू किया जाए और पेंशनरों की पेंशन उत्तर प्रदेश सरकार की तरह शासकीय ट्रेजरी से की जाए.
4. सभी वर्गों की वेतन विसंगति दूर की जाए.
5. आउटसोर्स के निकाले हुए कर्मचारियों को वापस लिया जाए. नीति बनाकर कर्मचारियों को स्थाई किया जाए और अनुभव के आधार पर वेतन वृद्धि की जाए.
6. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए गृह जिला ट्रांसफर नीति बनाई जाए.
7. अनुकंपा नियुक्ति की नीति में सुधार किया जाए.
8. योग्यता के आधार पर खाली पदों पर पदोन्नति करते हुए नई भर्ती की जाए.
9. संगठनात्मक संरचना में संशोधन करते हुए मेडिकल क्लेम पाल्सी लागू की जाए.
10. वर्षों से लंबित फ्रिंज बेनिफिट सुविधाएं लागू की जाए.
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