संदीप भम्मरकर, भोपाल। पंचायत चुनाव (Panchayat Election) पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 13 दिसंबर तय की है। कांग्रेस नेता सैयद जाफर (Congress leader Syed Jaffer) और जया ठाकुर (Jaya Thakur) की ओर से दायर रिट पिटिशन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 13 दिसंबर दिन सोमवार तय की है। महाराष्ट्र सरकार के द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिका के साथ ही मध्यप्रदेश की पंचायत चुनाव में रोटेशन (rotation in panchayat elections) का पालन ना करने वाली याचिका की सुनवाई एक साथ होगी। आज इस याचिका की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने की।
हाइकोर्ट की इंदौर और ग्वालियर पीठ दे चुका है स्टे
हाइकोर्ट की इंदौर पीठ ने भी नगर निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर जारी नोटिफिकेशन को लेकर दायर याचिका पर स्टे दे चुका है। इसके पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भी 2 नगर निगम सहित 81 निकायों के महापौर-अध्यक्ष पद के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि, बार-बार एक ही वर्ग के लिए आरक्षण करना अन्य वर्ग को चुनाव से बेदखल करना है। कोर्ट ने साफ कहा था कि, आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है ।
कोर्ट कह चुका है आरक्षण जरूरी
याचिका में कहा था कि, नगर निकाय चुनाव में जिन सीटों के लिए आरक्षण किया गया है, उनमें रोटेशन बिल्कुल भी नहीं किया गया है। लंबे समय से वही आरक्षण चला आ रहा है। 7 साल पहले जो सीट SC या ST के लिए आरक्षित की गई थी वह अब तक उसी वर्ग के लिए आरक्षित है, जबकि संविधान के अनुसार रोटेशन प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए। ऐसा करने से हर वर्ग को मौका मिल सकेगा। ग्वालियर कोर्ट के आदेश के अनुसार ही इंदौर कोर्ट ने भी आरक्षण को लेकर स्टे दिया है। कोर्ट ने रोटेशन प्रक्रिया लागू करने को कहा है।
हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ MP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई है SLP
आपको बता दें कि, निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने आनन फानन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की है।
दो साल से टल रहे पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में लगी थी याचिका
आपको बता दे कि, कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण सिंह ने पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर एमपी हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार की ओर से जब जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने सख्ती बरती। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, राज्य निर्वाचन आयोग इलेक्शन करवाने के लिए तैयार है। फिर भी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। जिसके बाद कोर्ट ने सख्ती करते हुए सरकार से चुनाव का शेड्यूल पेश करने को कहा था लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद भी जब सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो याचिकाकर्ता ने यही याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगा दी।
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