नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए जारी दिल्ली वन विभाग के नोटिस को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि कोई भी वन भूमि का मालिक नहीं हो सकता है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने आवेदक सोनिया एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि आवेदन पर विचार करना मुश्किल है.
जानिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में क्या कहा ?
हाल ही में पारित आदेश में कहा गया है कि इस तथ्य के अलावा कि इस ट्रिब्यूनल को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 की धारा 14 के तहत केवल पर्यावरण के शिकार द्वारा ही संपर्क किया जा सकता है, यह आवेदक का मामला नहीं है कि जिस भूमि से अतिक्रमण हटाया जा रहा है वह वन भूमि नहीं है. पीठ ने आगे कहा कि एक बार ऐसा हो जाने पर भले ही आवेदक ने किसी ऐसे व्यक्ति से खरीदा हो जो मालिक नहीं है (क्योंकि कोई भी वन भूमि का मालिक नहीं हो सकता है), आवेदक वन भूमि पर बने रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. खासतौर पर जिसका उपयोग गैर-वन उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है. इसने आगे आवेदक के वकील को आवेदन वापस लेने और कोई अन्य उपाय करने का निर्देश दिया. आदेश में कहा गया है कि आवेदन वापस लिए जाने के कारण इसे खारिज किया जाता है.
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