रायपुर..राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने अपने भोपाल घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के चार महत्वपूर्ण सुझावों को शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा तीन राज्यों-छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान को मिलाकर पर्यावरण पर केन्द्रित क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन भोपाल में किया गया था। सम्मेलन में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने भी डॉ. रमन सिंह के इन सुझावों को काफी उपयोगी और महत्वपूर्ण बताया था। सम्मेलन के बाद एनजीटी द्वारा जारी भोपाल घोषणा पत्र में डॉ. सिंह के सुझावों को शामिल किया गया है।
डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन में स्वच्छ भारत मिशन के तहत छोटे शहरों में कचरा प्रबंधन के लिए छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर मॉडल को अपनाने की जरूरत पर बल दिया था। उन्होंने बताया था कि अम्बिकापुर में महिलाओं के स्व-सहायता समूहों द्वारा घर-घर जाकर कचरा उठाने और उनकी रिसाईकिलिंग आदि का काम शुरू किया गया है। यह एक रोल मॉडल है। इस प्रोजेक्ट को देश भर में सराहा गया है और केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 में इसे दो लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। लगभग तीन महीने पहले 04 मई को नई दिल्ली में केन्द्र सरकार की ओर से अम्बिकापुर नगर निगम को इस उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ. सिंह ने दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव दिया था कि कोयला आधारित ताप बिजली घरों से निकलने वाली राख (फ्लाई ऐश) का उपयोग खदानों के गड्ढ़ों को भरने और ईटों के निर्माण के लिए किया जाए। साथ ही एक फ्लाई ऐश उपयोगिता निधि की भी स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने इसके अलावा यह भी सुझाव दिया था कि साल के वृक्षों पर प्रत्येक बीस वर्ष में होने वाले साल बोरर के नाम से तनाछेदक कीड़ों के हमलों को रोकने के लिए अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जाए। डॉ. सिंह का कहना था कि साल बोरर की वजह से हर बीस साल में लगभग 18 लाख वृक्षों को नुकसान पहुंचता है।
डॉ. रमन सिंह ने क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए केन्द्र सरकार की कैम्पा निधि की राशि के उपयोग के लिए राज्यों को अधिक स्वतंत्रता देने और विकास परियोजनाओं के लिए फारेस्ट क्लीयरेंस के अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करते हुए राज्यों को अधिकार देने का भी सुझाव एनजीटी के सम्मेलन में दिया था।