कुशीनगर. दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू हो गया है. एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी स्तिथि में प्रतिमाओं का विसर्जन नदी नालों में नहीं किया जाना है. विसर्जन के लिए प्रशासन को अलग से व्यवस्था कराना है. जिला प्रशासन विसर्जन को लेकर कर कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है और ना ही नगर पंचायत व नगर पालिका परिषद नदी नालों में विसर्जन रोकने कर्मचारियों को तैनात किया है. जबकि एनजीटी से सभी जिलाधिकारी को गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराने के लिए पत्र जारी किया है.

हर बार दुर्गा पूजा शुरू होने के साथ ही प्रतिमा स्थापना और विसर्जन के संबंध में गाइडलाइन जारी की जाती है. चौंकाने वाली बात यह कि बीते दिनों से हर रोज नदी नालों में सैकड़ों प्रतिमाओं का खुलेआम विसर्जन किया जा रहा है. जिस वजह से छोटी-छोटी नदी-नालों में मूर्तियां बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले लकड़ी और अन्य सामानों से नदी नाले व बाड़ी पूरी तरह जाम हो जा रहा है. पानी का बहाव बंद हो जा रहा है. वहीं मूर्ति बनाने में खतरनाक केमिकल व पेंट का उपयोग होता है, जो पानी में घुलनशील होता है. जिसके चलते जलीय जीवो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं इस वजह से उनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है, लेकिन नदी-नालों में मूर्ति विसर्जन को लेकर जिला प्रशासन निष्क्रिय रहा. जिस वजह से एनजीटी के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है और नदी नालों में प्रदूषण बढ़ रहा है.

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एक तरफ नदी-नालों को 2 अक्टुबर को अभियान चलाकर पूरा प्रशानिक अमला सांसद विधायक, यहां तक की प्रभारी मंत्री सभी ने नदी में उतरकर सफाई की और यह संदेश दिया कि नदी, नालों, तालाब को स्वच्छ रखें लोगों में खूब संदेश प्रसारित भी किया गया, लेकिन अब उसी नदियों में बांस पुआल और मिट्टी से बने तरह-तरह के केमिकल से बनी मूर्तियों को विसर्जित किया जाएगा, जो पूरी तरह इन मूर्तियों के कबाड़ से नदी नाले भर जाएंगे और यह जल पूरी तरह दूषित हो जाएगा, लेकिन इस पर किसी जिम्मेदार अधिकारी उस पर ध्यान नहीं देते. इस वजह से जिले के नदी नालों नदियों का अस्तित्व समाप्त होने के तरफ बढ़ रहा है. अगर इसी तरह नदी-नालों में मूर्तियों का विसर्जन होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जिले में नदी-नालों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच जाएंगे. अब देखना यह है कि मूर्ति विसर्जन को लेकर प्रशासन एनजीटी के नियमों का अनुपालन करा पा रहा है या इसी तरह हर वर्ष की तरह एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ती रहती है.

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