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सुप्रिया पांडेय, रायपुर। कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय प्रकट हो जाता है, लेकिन इसका इलाज सही तरीके से किया जाए तो मरीज को ठीक होने से कोई नहीं रोक सकता लेकिन इसके लिए जरूरी है बीमारी को समझना. एनएच एमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि पेट के कैंसर के आंकड़े भारत में बेहद चिंताजनक है और इससे लड़ने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल लगातार काम कर रहा है. कई ऐसे मरीज है जो कैंसर के तीसरे स्टेज से ठीक होकर घर लौटे है.
इनमें सबसे गंभीर केस माधवी का था, जो एनएच एमएमआई में स्टेज 3 स्टमक कैंसर के साथ आई थी, उनके सर्जरी समेत कीमोथेरेपी के 4 साइकल्स हुए फिर अजुवेंट कीमोथेरेपी के 4 साइकल्स हुए. यह केस बेहद जटिल था. बीते एक वर्ष से मरीज की स्थिति बेहतर है.
दूसरा केस सरस्वती कोसीमा का था, वह भी स्टमक कैंसर के तीसरे स्टेज पर थी. 14 वर्ष पहले उसके पेट की सर्जरी हुई. साथ ही 6 साइकल्स कीमोथेरेपी के भी हुए. अब वे बिल्कुल सामान्य जिन्दगी जी रही है.
तीसरा केस सुखजनी का था, जिसकी व्हिपल सर्जरी इसी वर्ष लॉकडाउन से पहले हुई. बीते 9 महीनों से वह पूरी तरह ठीक है, वहीं रमा की भी पैन्क्रियाटिको डुओनेक्टॉमी करीब डेढ़ साल पहले की गई थी वे भी ठीक है.
डॉ. मऊ रॉय कहती है कि कैंसर के लक्षणों के बारें में जागरूकता बेहद जरूरी है, जी मचलना, पेट में दर्द होना, काले रंग का मल आना आदि पेट से संबंधित अन्य आम समस्याओं में भ्रम पैदा कर सकती है, जिसे समझना होगा. जिन मरीजों ने अपने इलाज और इलाज के बाद के अनुभव साझा किए वे निश्चित रूप से इस बात का उदाहरण है कि कैंसर के मरीज भी पूरी तरह से ठीक होकर घर लौट सकते हैं.
फैसिलिटी डायरेक्टर नवीन शर्मा ने कहा कि एनएच एमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ऑन्कोलॉजी का व्यापक केन्द्र है, जो सुविधाएं कैंसर डिपार्टमेंट की ओर से प्रदान की जा रही है. उन्हें सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं की सहायता से और भी अच्छे विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं. भविष्य में हम केन्द्र व राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के माध्यम से भी इलाज करने की शुरूआत कर सकते हैं.