स्पोर्ट्स डेस्क. भारत की स्टार मुक्केबाज निकहत जरीन को अब पैसों की चिंता नहीं करनी पड़ती है. भारत सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) और खेलो इंडिया कार्यक्रम ने उनकी चिंता को दूर कर दिया है और अब वह सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस कर रही हैं. निकहत के अनुसार इन योजनाओं के कारण खिलाड़ियों की पैसे की चिंता खत्म हो गई है. केंद्र सरकार ने टॉप्स और खेलो इंडिया कार्यक्रम को क्रमश: 2014 और 2018 में लॉन्च किया था. सरकार इन दोनों योजनाओं के तहत खिलाड़ियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करती है.
निकहत ने कहा कि जब हम भारत के लिए खेलते हैं तो अपना पैसा खर्च करना होता है लेकिन टॉप्स से सब कुछ बदल गया. अब हम अपने खेल और पदक जीतने पर फोकस कर सकते हैं. जब मैने मुक्केबाजी शुरू की तो बहुत प्रतिस्पर्धाएं नहीं थी. एक खिलाड़ी को वित्तीय सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत होती है जो खेलो इंडिया से मिला. प्रधानमंत्री ने इस योजना के जरिए खिलाड़ियों की काफी मदद की है और खेलो इंडिया में महिलाओं ने कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े हैं. यह महिलाओं को खेलों में हिस्सा लेने के लिउ प्रेरणास्रोत और उत्साहवर्धक है.
निकहत ने हाल ही में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. वह इस टूर्नामेंट में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की दूसरी महिला बॉक्सर हैं. एमसी मैरीकोम ने इस चैंपियनशिप में सर्वाधिक छह बार पीला तमगा हासिल किया है. निकहत ने कहा कि मैं जब चोटिल थी और एक वर्ष तक खेल नहीं सकी थी तो लोग ताना मारते थे कि उसका करियर खत्म हो गया है लेकिन मैंने वापसी की. प्रधानमंत्री मोदी हमें जीतने पर ही बधाई नहीं देते बल्कि प्रतिस्पर्धा के लिए हौसलाअफजाई करते हैं.
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