Lalluram Desk. रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी की आलोचना की और चेतावनी दी कि इस कदम से एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी को नुकसान पहुँचने का खतरा है. पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत ने व्हाइट हाउस से आग्रह किया कि वह भारत को अलग-थलग न करे, भले ही वह चीन को टैरिफ में नरमी दे रहा हो – जिसे उन्होंने एक विरोधी और रूसी तथा ईरानी तेल का प्रमुख खरीदार बताया.
नई दिल्ली के प्रति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते व्यापारिक रुख की अब तक की सबसे तीखी रिपब्लिकन आलोचना करते हुए, निक्की हेली ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर लिखा, “भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए. लेकिन चीन, जो एक विरोधी और रूसी तथा ईरानी तेल का नंबर एक खरीदार है, को 90 दिनों के लिए टैरिफ पर रोक लगा दी गई है.”
लंबे समय से खुद को बीजिंग के प्रति आक्रामक और भारत के रणनीतिक उदय की समर्थक के रूप में अपनी पहचान रखने वाली निक्की हेली ने आगे कहा, “चीन को छूट न दें और भारत जैसे मजबूत सहयोगी के साथ अपने रिश्ते खराब न करें.”
डोनाल्ड ट्रंप की भारत को ताज़ा चेतावनी
निक्की हेली की यह टिप्पणी डोनाल्ड ट्रंप की उस ताज़ा चेतावनी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह 24 घंटे के भीतर भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में “काफी” वृद्धि करने का इरादा रखते हैं. उन्होंने नई दिल्ली द्वारा रूसी कच्चे तेल के निरंतर आयात का हवाला दिया. सीएनबीसी से बात करते हुए, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका “भारत के साथ बहुत कम व्यापार” करता है जबकि भारत “हमारे साथ बहुत अधिक व्यापार” करता है.
इससे पहले, अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बावजूद “भारी मात्रा में रूसी तेल” खरीदने और उसे मुनाफे के लिए खुले बाजार में बेचने का आरोप लगाया था.
भारत ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर पलटवार किया
इधर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा खंडन जारी करते हुए डोनाल्ड ट्रंप के बयान को “राजनीति से प्रेरित” और “अनुचित” बताया. मंत्रालय ने कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल की बढ़ी हुई खरीद एक रणनीतिक आवश्यकता थी, जो यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद पश्चिम के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अपने निर्यात को यूरोप की ओर मोड़ने के बाद की गई थी.
विदेश मंत्रालय ने कहा, “उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मज़बूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था.”
बयान में यह भी रेखांकित किया गया कि अमेरिका और यूरोपीय देश, दोनों ही मास्को के साथ मज़बूत व्यापारिक संबंध बनाए हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि अमेरिका स्वयं रूस से आर्थिक रूप से जुड़ा हुआ है और अपने परमाणु क्षेत्र के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पैलेडियम और विभिन्न उर्वरकों के साथ-साथ औद्योगिक रसायनों का आयात करता है.
बयान में कहा गया है, “किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.”