कोलकाता। पश्चिम बंगाल में जारी पंचायत चुनाव में केंद्रीय बल की तैनाती के बावजूद हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. चुनावी हिंसा में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. हिंसा की घटनाओं को देखते हुए विपक्ष ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की गुहार लगाई है.

पंचायत चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा, पोलिंग बूथ पर बमबारी, राजनीतिक दल के पोलिंग एजेंट और कार्यकर्ताओं को मारे जाने, बैलेट बॉक्स लूटे जाने और फर्जी मतदाता पत्र डाले जाने के वीडियो सोशल मी़डिया में तेजी से वायरल हो रहे हैं. विपक्ष दल इन घटनाओं के लिए राज्य की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर टीएमसी की ओर से इसके लिए दूसरे दलों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि राज्यपाल ने राजीव सिन्हा को नियुक्त करके सबसे बड़ी गलती की. दोपहर के तीन बजे हैं, और 15 से अधिक लोग मारे गए हैं. उन्हें टीएमसी के गुंडों ने मार डाला. केंद्र को अनुच्छेद 355 या 356 में हस्तक्षेप करना चाहिए. हम संविधान के संरक्षक से कार्रवाई चाहते हैं.

वहीं पंचायत चुनाव हिंसा पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी की पुलिस प्रशासन के साथ असंगति ने अभूतपूर्व तरीके से आतंक की बारिश शुरू कर दी है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई है, और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बंगाल में राजनीतिक और चुनावी हिंसा का माहौल रहा है. यह पंचायत चुनाव एक मजाक है, और वस्तुतः यह चुनावी लूट-खसोट का एक उदाहरण है.