ED Raid in Al-Falah: दिल्ली लालकिला ब्लास्ट की जांच के सिलसिले में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने मंगलवार तड़के सुबह 5 बजे अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े व्यक्तियों के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की। जांच के दौरान टीम को कई वित्तीय अनियमितताओं के सबूत मिले। इनमें एक ही पते पर 9 शेल कंपनियों का पंजीकरण, कई कंपनियों में एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल, और EPFO रिकॉर्ड का न मिलना शामिल है। यह कार्रवाई विश्वविद्यालय, उसके ट्रस्टीज और उससे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है। ईडी ने वित्तीय अनियमितताओं को लेकर PMLA के तहत मामला दर्ज किया है।
यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद से भी पूछताछ
छापेमारी के दौरान ईडी की टीम ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी से भी पूछताछ की। सिद्दीकी पिछले कुछ दिनों से लापता बताए जा रहे थे, लेकिन छापे के दौरान वह परिसर में मौजूद मिले।
9 शेल कंपनियां एक ही पते पर रजिस्टर्ड
जांच एजेंसियों की छापेमारी में यह तथ्य सामने आया कि ग्रुप से जुड़ी 9 शेल कंपनियां एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं। अधिकारियों के मौके पर पहुंचने पर पता चला कि वहां न तो कोई स्टाफ मौजूद था और न ही बिजली-पानी के उपयोग का कोई रिकॉर्ड मिला। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह साफ संकेत है कि इन कंपनियों का भौतिक अस्तित्व सिर्फ कागज़ों तक सीमित है और इन्हें संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
कई कंपनियों में एक ही मोबाइल नंबर, EPFO का कोई रिकॉर्ड नहीं
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कई कंपनियों में एक ही मोबाइल नंबर और ईमेल आइडी का उपयोग किया गया है। यही नहीं, EPFO और ESIC में भी इन कंपनियों का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं मिला, जबकि दस्तावेजों में इन्हें बड़े कारोबार वाली कंपनियों के रूप में दर्शाया गया था। इन तथ्यों ने इन कंपनियों की वास्तविक गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन पर संदेह और गहरा कर दिया है, और एजेंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकी मॉड्यूल को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए किया गया था।
अधिकारियों ने यह भी पाया कि कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर, एक ही अधिकृत साइनैटरी और लगभग एक जैसे KYC दस्तावेज़ इस्तेमाल किए गए हैं। बैंक खातों की जांच में भी केवल नाममात्र का वेतन भुगतान दिखा, जबकि HR से जुड़े रिकॉर्ड लगभग न के बराबर मिले। कंपनियों की स्थापना की टाइमलाइन भी करीब-करीब एक जैसी पाई गई, जिससे इनके शेल कंपनियां होने का संदेह और मजबूत हो गया है।
इसी दौरान जांच टीम ने ग्रुप द्वारा UGC और NAAC मान्यता को लेकर किए गए दावों में भी शुरुआती अनियमितताएं पकड़ी हैं। अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले की गहराई से जांच जारी है और जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आएंगे, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अल-फलाह पर 2 FIR
दिल्ली पुलिस ने कुछ दिन पहले ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के दो अलग-अलग FIR दर्ज की थीं। ये मामले यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) की शिकायत के आधार पर दर्ज हुए थे। वहीं, आतंक मॉड्यूल से जुड़े कनेक्शन सामने आने के बाद एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने भी यूनिवर्सिटी की सदस्यता रद्द कर दी है।
पुलिस का कहना है कि यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी का बयान इस जांच से जुड़ी कई विसंगतियों और महत्वपूर्ण सवालों को स्पष्ट करने में अहम भूमिका निभाएगा। इधर, इसी मामले के बीच यूनिवर्सिटी के चांसलर के छोटे भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को सोमवार को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी लगभग 25 साल पुराने मध्यप्रदेश के एक धोखाधड़ी केस में हुई है।
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लालकिला ब्लास्ट का एपिसेंटर अल-फलाह
जांच एजेंसियों का कहना है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी लालकिला ब्लास्ट केस का एपिसेंटर बनकर उभरी है। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि 14 लोगों की जान लेने वाले इस हाई-इंटेंसिटी ब्लास्ट की प्लानिंग यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर ही की गई हो सकती है। अब एजेंसियां यूनिवर्सिटी से जब्त किए गए दस्तावेज़ों, हार्ड डिस्क, मोबाइल डेटा और अन्य डिजिटल रिकॉर्ड की विस्तृत फॉरेंसिक जांच करेंगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आतंकियों की गतिविधियाँ कितने समय से चल रही थीं और इसमें किन-किन लोगों की भूमिका थी।
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