रायपुर। दिल्ली में निर्भया गैंगरेप-हत्याकांड के चार आरोपियों को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी दे दी गई है. आखिरकार निर्भया को सात साल बाद न्याय मिला है. आरोपियों ने बचने के लिए कई तरकीब निकाले, लेकिन उनकी एक भी न चली और चारों दोषियों अक्षय, पवन, मुकेश और विनय को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. फांसी देने के बाद निर्भया की मां ने उसकी फोटो को प्रणाम किया और गले लगाकर कहा कि बेटी तुम्हें अब इंसाफ मिला है. साथ ही लोगों के बीच अपनी खुशी का इजहार किया.
जेल नम्बर 3 की अलग-अलग सेल में बंद सभी चारों दोषियों को यह पता चला कि उन्हें सुबह फांसी दी जानी है, तो वो रात भर सो नहीं पाए. सुबह होते ही उन्हें नहाने बोला गया, लेकिन उन्होंने नहीं नहाया और नाश्ता भी नहीं किया. उसके बाद वो सारे काम किए गए जो फांसी देने से पहले की जाती है. सभी दोषियों का मेडिकल चेकअप भी किया गया. जेल सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, मेडिकल अफसर आरएमओ और इलाके के मजिस्ट्रेट व एक अन्य स्टाफ की मौजूदगी में सुबह 5.30 बजे फांसी पर चढ़ा दिया गया है.
फांसी देने के बाद करीब 30 मिनट से ज्यादा तक चारों दोषियों के शव 12 फिट गहरे तख्ते पर लटके रहे. सभी 4 दोषी मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) के शवों के फांसी के तख्ते से उतारा गया और मेडिकल टीम ने शवों की जांच की. फिर शवों को दीन दयाल अस्पताल पोस्टमोर्टम के लिए भेज दिया गया. जहां पोस्टमार्टम कर शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ चार आरोपियों को फांसी दी गई है.
चालिए बताते हैं कि कब क्या हुआ ?
- दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया था.
- जिसके बाद पुलिस ने मामले में 17 से 26 जनवरी के बीच विनय, अक्षय, मुकेश, पवन,रामसिंग और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया.
- इलाज के दौरान 29 जनवरी को निर्भया की मौत हो गई.
- 11 मार्च 2013 को रामसिंग ने जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
- अगस्त 2013 को फास्ट ट्रेक कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को तीन साल की सजा सुनाई और 2015 में उसे सुधार गृह से रिहा कर दिया गया.
- 13 सितंबर 2013 को कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई.
- 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.
- फरवरी 2019 में पीड़िता के परिजन दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे और चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की.
- 29 अक्टूबर 2019 को तिहाड़ जेल ने घोषणा की कि उनके पास दया याचिका दाखिल करने के केवल सात दिन हैं.
- 8 नवंबर 2019 को एक और दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की.
- 1 दिसंबर 2019 को दिल्ली सरकार ने दया याचिका खारिज करने को मंजूरी दी.
- 8 जनवरी 2020 को पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया और 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी के आदेश दिए.
- 14 जनवरी को पांच जजों की बेंच ने मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दी.
- 17 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी.
- 31 जनवरी को विनय शर्मा और अक्षय की दया याचिका लंबित होने की वजह से दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने डेथ वारंट सस्पेंड किया.
- 1 फरवरी को राष्ट्रपति ने विनय की दया याचिका खारिज की.
- 11 फरवरी को केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें सभी को एक साथ फांसी देने की बात थी. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की नई तारीख लेने की मंजूरी दी.
- 17 फरवरी को फांसी की तारीख 3 मार्च तय हुई.
- 2 मार्च को पवन की क्यूरेटिव पिटिशन को बेंच ने खारिज कर दी जिसमें उसने उम्रकैद की मांग की थी.
- 5 मार्च को पवन की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की और कोर्ट ने आदेश दिए की सभी दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाए.
- इसी बीच दोषी इंटरनेशनल कोर्ट और जस्टिस पहुंचे वहीं मुकेश और पवन ने फिर से याचिकाएं लगाई, लेकिन सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं.