Surendra Koli: दर्जन भर से ज्यादा बच्चों के साथ हैवानियत करने वाले निठारी हत्याकांड में आरोपी सुरेंद्र कोली को देश की शीर्ष अदालत ने रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 2011 के पुनर्विचार फैसले को वापस लिया जाता है, सुप्रीम कोर्ट की अपील स्वीकार की जाती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है। याचिकाकर्ता को बरी किया जाता है, सभी सजाएं रद्द की जाती हैं। कोली को तत्काल रिहा किया जाए।

सुरेंद्र कोली की सुधारात्मक याचिका स्वीकार की

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के एक मामले में दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देने वाली सुरेंद्र कोली की सुधारात्मक याचिका को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। यह आदेश भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने पारित किया, जिन्होंने कोली की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की थी। कोली निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में पहले ही बरी हो चुका है।

क्या था निठारी हत्याकांड?

निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद हुआ था। कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा था। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2023 में कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया था और 2017 में निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को पलट दिया। अदालत ने कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था। सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने बरी किए जाने के इन फैसलों को बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया था।

वकील ने कहा- हर सबूत झूठा था

निठारी हत्याकांड के एक मामले में सुरेंद्र कोली द्वारा अपनी दोषसिद्धि और मौत की सजा को चुनौती देने वाली क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार किए जाने पर वकील युग मोहित चौधरी ने कहा, जिन 13 मामलों में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, उनमें से 12 में वह पहले ही निर्दोष साबित हो चुका था। एक मामला बचा था, जिसमें पांच अदालतों ने उसे दोषी घोषित कर मौत की सजा सुनाई थी।

आज सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में भी पहले के चार-पांच फैसलों को पलट दिया है…ये बेहद गंभीर आरोप थे, लेकिन सारे सबूत गढ़े हुए थे। इस बेचारे को किसी ताकतवर व्यक्ति को बचाने के लिए फंसाया गया था। हर सबूत झूठा था, एक भी सबूत दोषसिद्धि को सही नहीं ठहरा सकता…आपको यह सवाल सीबीआई से पूछना चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट है कि सीबीआई ने असली अपराधी को जानते हुए भी इन निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठे सबूत गढ़े और उन्हें फंसाया। ये सवाल सीबीआई से पूछिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्यूरेटिव याचिका स्वीकार करने के साथ कोली अब आजाद हो जाएगा क्योंकि वह निठारी के अन्य मामलों में पहले ही बरी हो चुका है।

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