
Women Taking Loans to Fulfill Their Desires: भारत में महिलाएं बैंकों से लोन लेने के मामले में पीछे नहीं हैं। आजकल महिलाएं अपने शौक पूरे करने के लिए लोन ले रही हैं। इसके अलावा महिलाएं अपने क्रेडिट स्कोर को लेकर भी काफी सजग नजर आ रही हैं। ये आंकड़े नीति आयोग की एक रिपोर्ट में जारी किए गए हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक लोन लेने वाली महिलाओं में करीब 60 फीसदी ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों से हैं।
इन चीजों के लिए लिया सबसे ज्यादा लोन
महिलाएं सबसे ज्यादा लोन खुद के लिए और घर खरीदने के लिए ले रही हैं। करीब 42 फीसदी लोन निजी इस्तेमाल की चीजों के साथ-साथ घर के स्वामित्व के लिए लिए गए हैं। महिलाओं ने बिजनेस से जुड़ी चीजों के लिए सिर्फ 3 फीसदी लोन लिया है। इसके अलावा सोने के बदले लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 38 फीसदी है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में हुए ये खुलासे
नीति आयोग की रिपोर्ट ‘उधारकर्ताओं से लेकर बिल्डरों तक भारत की वित्तीय विकास कहानी में महिलाओं की भूमिका’ शीर्षक से जारी की गई है, जिसमें लोन लेने वाली महिलाओं के आंकड़ों के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अनुसार, महिलाएं न केवल लोन लेने के लिए आगे आ रही हैं, बल्कि नियमित रूप से अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी भी कर रही हैं। दिसंबर 2024 तक कुल 2.7 करोड़ महिलाओं ने अपना क्रेडिट स्कोर चेक किया।
लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि
पिछले 5 वर्षों में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या में 22 प्रतिशत का उछाल आया है। वर्ष 2019 के बाद, व्यावसायिक गतिविधियों के लिए महिलाओं के नाम पर खोले गए खातों की संख्या में भी 4.6 गुना वृद्धि हुई है।
इन राज्यों की महिलाओं ने 5 वर्षों में सबसे अधिक लोन लिया
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां पिछले 5 वर्षों में महिलाओं ने सबसे अधिक लोन लिया है। महिलाएं खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अच्छी वित्तीय योजना भी बना रही हैं।
ये समस्याएं सामने आ रही हैं
बैंकों से लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन महिलाओं को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। बैंकों से जुड़े नियमों और गारंटी के बारे में अच्छी जानकारी न होने के कारण भी उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
नीति आयोग की मुख्य आर्थिक सलाहकार अन्ना रॉय ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की सलाह दी है। उनका कहना है कि अगर सरकार महिला उद्यमिता को बढ़ाने के लिए प्रयास करे तो करीब 15 से 17 करोड़ महिलाओं की भागीदारी बढ़ सकती है।
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