कुंदन कुमार/ पटना। बिहार की सियासत में चुनावी हलचल तेज होती जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार प्रशासनिक मोर्चे पर सक्रिय नजर आ रहे हैं। उन्होंने 29 अगस्त को राज्य कैबिनेट की बैठक बुलाई है। खास बात यह है कि एक सप्ताह में यह दूसरी बार होगा जब कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है। तीन दिनों के अंतराल पर यह दूसरी बैठक है, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
क्या हो सकता है बड़ा फैसला?
2025 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार कुछ बड़े और जनहित से जुड़े फैसले ले सकती है। पिछली बैठक में कई विकास परियोजनाओं और नियुक्तियों पर मुहर लगी थी। माना जा रहा है कि आगामी बैठक में भी सरकार ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी दे सकती है, जो सीधे जनता और मतदाताओं पर असर डालें।
विकास और सामाजिक योजनाओं पर
सूत्रों के अनुसार बैठक में रोजगार सृजन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े एजेंडे पर चर्चा हो सकती है। नीतीश कुमार की रणनीति स्पष्ट है—चुनाव से पहले जनता को राहत देने वाले फैसले लेकर सरकार की लोकप्रियता को मजबूत करना।
तेजी से फैसले क्यों?
एक सप्ताह में दो बार कैबिनेट बैठक बुलाना असामान्य है। यह बताता है कि सरकार चुनाव से पहले तेजी से अपने एजेंडे को अमल में लाना चाहती है। विपक्ष लगातार सरकार पर वादाखिलाफी और धीमी कार्यशैली का आरोप लगा रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार के तुरंत फैसले राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
राजनीतिक महत्व के संकेत
कैबिनेट बैठक में लिए जाने वाले फैसले आगामी चुनाव के एजेंडे की झलक हो सकते हैं। विशेषकर विकास योजनाओं, किसानों से जुड़े प्रस्ताव और युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं पर फोकस रहने की संभावना है।
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