Bihar News: बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल तब आया जब बीजेपी कोटे से नीतीश सरकार में नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा को नकली दवा वितरण मामले में राजस्थान की राजसमंद कोर्ट ने दोषी करार दिया. 15 साल पुराने इस मामले में अदालत ने उन्हें 7000 रुपये के जुर्माने के साथ प्रोबेशन पर चेतावनी देते हुए छोड़ा, लेकिन विपक्ष ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दे रही है.

वर्ष 2010 का है मामला

मामला वर्ष 2010 का है, जब राजस्थान के देवगढ़ स्थित कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स से सिप्रोलिन-500 टेबलेट के सैंपल जांच के लिए लिए गए थे. लैब रिपोर्ट में दवा को मिलावटी और अमान्य श्रेणी का पाया गया. जांच में साफ हुआ कि इस दवा की आपूर्ति ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने की थी, जिसके निदेशक खुद जीवेश मिश्रा हैं.

कैबिनेट से हटाने की मांग

इस निर्णय के बाद कांग्रेस, राजद और निर्दलीय सांसदों ने मिश्रा को कैबिनेट से हटाने की मांग की है. कांग्रेस नेता राजेश राठौड़ ने जहां मंत्री को तत्काल हटाकर नकली दवा नेटवर्क की जांच की मांग की. वहीं, पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने मिश्रा को ‘नकली दवा माफिया’ कहकर करारा हमला बोला और मुख्यमंत्री से कार्रवाई की अपील की. 

बिहार की राजनीति में मची हलचल 

राजद नेता रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह लाचार और समझौता करने वाली सरकार है, जिसमें दोषी मंत्री खुलेआम कुर्सी पर बैठे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार अनैतिक कामों में लिप्त लोगों का संरक्षण कर रही है. इस मामले से बिहार की राजनीति में हलचल मची हुई है. अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के रुख पर टिकी हैं कि वे मंत्री पर कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं.

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