Bihar News: पटना में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मखाना को “माँ का खाना” बताते हुए इसके पोषण और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि, मखाना विकास बोर्ड के गठन से सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं, जिसके तहत करीब 50 हजार मखाना उत्पादक किसानों को सीधे ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि उनकी आय बढ़ सके.

मखाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग

पटना के एक होटल में आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने मखाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का दर्जा देने की मांग की, ताकि किसानों को बाजार में स्थिर और लाभकारी मूल्य मिले. उन्होंने मखाना-मछली, मखाना-सिंघाड़ा और मखाना-पान की मिश्रित चक्रीय खेती मॉडल को बढ़ावा देने की वकालत की, जिससे जल और भूमि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और किसानों की आमदनी बढ़े.

उन्होंने बताया कि सरकार मखाना प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना और क्लस्टर आधारित निर्यात योजनाओं को प्रोत्साहन दे रही है. GI टैग मिलने से मखाना की वैश्विक मांग और पहचान बढ़ी है. बिहार में देश का 85% मखाना उत्पादन होता है, जो वैश्विक स्तर पर 60% हिस्सेदारी रखता है, जो राज्य के लिए गर्व की बात है.

रोजगार व उद्यमिता को मिलेगा बढ़ावा

आपको बता दें कि यह संगोष्ठी मंगलवार को बिहार कृषि विज्ञान अकादमी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा, समस्तीपुर), कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान एसोसिएशन (AERA) और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी. इसमें विशेषज्ञों ने मखाना की खेती, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया. यह पहल बिहार के किसानों के लिए आर्थिक अवसर और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार व उद्यमिता को बढ़ावा देगी.

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