कुंदन कुमार/पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान सामने आए एक वीडियो को लेकर देशभर में सियासत तेज हो गई है। वीडियो में दिख रही महिला डॉक्टर के जॉइन करने को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने महिला डॉक्टर को नौकरी का ऑफर देकर राजनीतिक हलकों में नया विवाद खड़ा कर दिया है। जेडीयू ने इस पर कड़ा पलटवार किया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कमरे आलम ने कहा कि नीतीश कुमार ने गार्जियन की भूमिका में कोई गलत काम नहीं किया। उनका उद्देश्य बिहार की बेटियों की उपलब्धि का संदेश देना था। विपक्ष बेवजह मुद्दा बना रहा है जिसका सड़क पर विरोध किया जाएगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ा एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें एक महिला चिकित्सक का हिजाब हटाने की कोशिश का आरोप लगाया गया। वीडियो सामने आने के बाद यह मामला तेजी से तूल पकड़ने लगा और राजनीतिक बहस का विषय बन गया। महिला चिकित्सक की पहचान डॉ. नुसरत परवीन के रूप में हुई।

झारखंड सरकार का बड़ा प्रस्ताव

इस विवाद के बाद झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने डॉ. नुसरत परवीन को झारखंड में सरकारी नौकरी का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि अगर नुसरत झारखंड में सेवा देना चाहें तो उन्हें तीन लाख रुपये मासिक वेतन दिया जाएगा। इसके साथ ही मनचाही पोस्टिंग, सरकारी आवास, सम्मान और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की जाएगी।

राजनीतिक बयान हुए तेज

हालांकि स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई। जानकारों का कहना है कि झारखंड सरकार पहले से ही चिकित्सकों की नियुक्ति टेंडर प्रक्रिया के जरिए अनुबंध पर करती है, जिसमें तीन लाख रुपये तक वेतन और पोस्टिंग की सुविधा दी जाती है। ऐसे में इस ऑफर को राजनीतिक बयान के तौर पर भी देखा जा रहा है।

बिहार में ही सेवा देने का निर्णय

झारखंड से ऑफर मिलने के बावजूद डॉ. नुसरत परवीन ने बिहार में ही नौकरी ज्वाइन करने का फैसला किया है। गवर्नमेंट तिब्बी कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद महफूजुर रहमान ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने हिजाब खींचा नहीं था, बल्कि हटाने को कहा था। उन्होंने कहा कि इस घटना से न तो इस्लाम का अपमान हुआ और न ही किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुंची।