Bihar News: पटना हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय को एक बड़े मामले में राहत प्रदान की है. कोर्ट ने 2018 में अररिया में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से जुड़े मामले में अररिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया है.
पटना हाईकोर्ट ने खारिज किया आरोप पत्र
न्यायमूर्ति चंद्र शेखर झा की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. अपने 15 पेज के विस्तृत फैसले में कोर्ट ने कहा कि, अभियोजन पक्ष के आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) की धारा 125 के तहत कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है. इस आधार पर संज्ञान आदेश और आरोप पत्र को खारिज कर दिया गया.
बता दें कि यह मामला 9 मार्च 2018 को अररिया के नरपतगंज थाने में दर्ज FIR (कांड संख्या 129/2018) से संबंधित है. आरोप था कि नित्यानंद राय ने नरपतगंज हाईस्कूल में एक चुनावी सभा में ऐसा भाषण दिया, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला था और आचार संहिता का उल्लंघन करता था.
CO ने दर्ज कराया था केस
अंचलाधिकारी (CO) की शिकायत पर यह केस दर्ज हुआ था. शिकायत में यह दावा किया गया था कि नित्यानंद राय ने एक विपक्षी उम्मीदवार के बारे में कहा था कि उनकी जीत होने पर “अररिया ISIS का गढ़ बन जाएगा.” इस बयान को नफरत फैलाने वाला बताकर FIR दर्ज की गई, और पुलिस जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
नित्यानंद राय के वकील ने कोर्ट में दी यह दलील
नित्यानंद राय के वकील नरेश दीक्षित ने कोर्ट में दलील दी कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि, भाषण में किसी धर्म, जाति या समुदाय का जिक्र नहीं था. ISIS एक वैश्विक आतंकी संगठन है, और उस संदर्भ में दिए गए बयान को सांप्रदायिक या देशविरोधी करार देना गलत है. उन्होंने यह भी बताया कि, FIR किसी प्रभावित प्रत्याशी ने नहीं, बल्कि एक सरकारी अधिकारी ने दर्ज कराई थी. साथ ही, भाषण में ऐसा कुछ नहीं था, जिससे किसी समुदाय की भावनाएं आहत हुई हों.
हाईकोर्ट ने इन दलीलों को मान्य करते हुए कहा कि, आरोप पत्र और संज्ञान आदेश में कोई आपराधिक तत्व प्रथम दृष्टया साबित नहीं होता. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि सिर्फ राजनीतिक मतभेदों के आधार पर आपराधिक केस चलाना उचित नहीं है.
बीजेपी को मिल सकता है राजनीतिक मजबूती
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. नित्यानंद राय भाजपा के प्रमुख ओबीसी नेता और रणनीतिकार हैं. इस फैसले से न केवल उन्हें कानूनी राहत मिली है, बल्कि भाजपा को भी राजनीतिक रूप से मजबूती मिलने की संभावना है.
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